Vat Savitri Vrat Katha: वट सावित्री पर जरूर सुनें सावित्री-सत्यवान की कथा, इसके बिना नहीं मिलता व्रत का पूरा फल

Vat Savitri Vrat Katha: इस बार वट सावित्री का व्रत 19 मई, शुक्रवार को किया जाएगा। इस व्रत का महत्व कई धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन वट व्रत की पूजा करने का विधान है। महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना से ये व्रत करती हैं।

 

उज्जैन. ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर वट सावित्री व्रत किया जाता है। इस बार ये तिथि 19 मई, शुक्रवार को है। महाभारत आदि कई ग्रंथों में इस व्रत का महत्व व कथा का वर्णन मिलता है। (Vat Savitri Vrat Ki Katha) मान्यता है कि इस दिन जो महिलाएं विधि-विधान से व्रत करती हैं, उनके घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत के दौरान सत्यवान-सावित्री की कथा ( savitri-satywan ki Katha) जरूर सुनी जाती है। इसके बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है। आगे जानिए सावित्री-सत्यवान की कथा…

ये है सावित्री और सत्यवान की कथा (Story of Savitri-Satyawan)
महाभारत के अनुसार, किसी समय अश्वपति नाम के राजा भद्र देश पर शासन करते थे। उन्हें यहां कोई संतान नहीं थी। कई सारे व्रत-उपवास करने के बाद माता सावित्री उन पर प्रसन्न हुई और उन्हें एक तेजस्वी कन्या होने का वरदान दिया। बालिका के जन्म पर राजा अश्वपति ने उसका नाम सावित्री रखा।
विवाह योग्य होने पर राजा उसके लिए वर तलाशने भेजा। एक दिन जब सावित्री किसी कार्य से जंगल में गई तो वहां उसे एक सुंदर युवक नजर आया। उस युवक पर मोहित होकर सावित्री ने उसे अपना पति मान गया। जब ये बात राजा अश्वपति को पता चली तो उन्होंने उस युवक का पता करवाया।
वो युवक साल्व देश के राजा द्युमत्सेन का पुत्र सत्यवान था, लेकिन दुश्मनों ने राज्य छिन लेने के कारण वह जंगल में अपने माता-पिता साथ रहता था। एक दिन नारद मुनि राजा अश्वपति के पास आए और उन्होंने बताया कि सत्यवान धर्मात्मा है, लेकिन एक वर्ष बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी।
ये बात जानकर राजा अश्वपति चिंतित हो गए और उन्होंने सावित्री से कहा कि वो कोई दूसरा वर पसंद कर ले, लेकिन सावित्री नहीं मानी। सावित्री का हठ देखकर राजा अश्वपति ने उसे सारी बात सच-सच बता दी। इसके बाद भी सावित्री सत्यवान से ही विवाह करने पर अडिग रही।
राजा अश्वपति ने सावित्री का विवाह सत्यवान से कर दिया। सावित्री अंधे सास-ससुर और निर्धन पति की सेवा करने लगी। जब सत्यवान की मृत्यु का समय आया तो नारद मुनि ने इसके बारे में पहले ही सावित्री को बता दिया। उस दिन सत्यवान के साथ सावित्री भी जंगल में लकड़ियां काटने गई।
लकड़िया काटते-काटते अचानक सत्यवान के सिरमें तेज दर्द हुआ और वह सावित्री की गोद में सिर रखकर सो गया। तभी यमराज वहां आए और सत्यवान के प्राण निकालकर ले जाने लगे। सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चलने लगी। जब यमराज ने सावित्री को देखकर उन्हें लौट जाने को कहा।
सावित्री लगातार यमराज के पीछे चलने लगी। इस दौरान यमराज ने सावित्री को कई वरदान भी दिए और अंत में सावित्री की जिद से हारकर उन्हें सत्यवान के प्राण भी छोड़ने पड़े। सत्यवान पुन: जीवित हो गया। इस प्रकार एक पतिव्रता स्त्री यमराज से अपने पति के प्राण ले आई।

Latest Videos



ये भी पढ़ें-

Ganga Dussehra 2023: कब है गंगा दशहरा, क्यों मनाते हैं ये पर्व? जानें सही डेट, पूजा विधि और शुभ योग


Panchak: पंचक में हो जाए किसी की मृत्यु तो क्या करें? इस धर्म ग्रंथ में लिखा है उपाय


Gayatri Jayanti 2023 Date: कब है गायत्री जयंती? नोट करें सही डेट, जानें शुभ योग व अन्य खास बातें


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

 

Share this article
click me!

Latest Videos

SC on Delhi Pollution: बेहाल दिल्ली, कोर्ट ने लगाई पुलिस और सरकार को फटकार, दिए निर्देश
Maharashtra Election: CM पद के लिए कई दावेदार, कौन बनेगा महामुकाबले के बाद 'मुख्य' किरदार
शर्मनाक! सामने बैठी रही महिला फरियादी, मसाज करवाते रहे इंस्पेक्टर साहब #Shorts
Congress LIVE: राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस पार्टी की ब्रीफिंग
Rescue Video: आफत में फंसे भालू के लिए देवदूत बने जवान, दिल को छू जाएगा यह वीडियो