
Veer Bal Diwas 2025: सिक्खों में कुल 10 गुरु हुए, जिनमें से गुरु गोविंद अंतिम थे। गुरु गोविंदसिंह जी ने अपने जीवनकाल में मुगलों के खिलाफ अनेक युद्ध किए और उनमें जीत भी हासिल की। गुरु गोविंद सिंह ने सनातन धर्म की रक्षा करते हुए हंसते-हंसते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। इतना ही नहीं अधर्म के विरुद्ध इस लड़ाई में गुरु गोविंदसिंह के 4 बेटे भी शहीद हो गए। उन्हीं की स्मृति में हर साल 26 दिसंबर को वील बाल दिवस मनाने की शुरूआत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। आगे जानें कौन थे गुरु गोविंदसिंहजी के वो 4 बेटे, जिनकी याद में मनाते हैं वीर बाल दिवस…
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इतिहासकारों के अनुसार साल 1705 के दौरान गोविंदसिंह ने मुगलों से अनेक युद्ध किए और उनकी हुकुमत को हिला दिया। इसके बाद मुगलों ने गुरु गोविंद सिंह के परिवार को पकड़ने का अभियान चलाया। ऐसी स्थिति में गुरु गोविंद ने अपनी पत्नी गुजरी और 2 साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को गुप्त स्थान पर भेज दिया। लेकिन रसोइए गंगू ने पैसे के लालच में सरहिंद के नवाब वजीर खां को उनका पता बता दिया।
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नवाब वजीर खां ने माता गुजरी और दोनों छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह को पकड़कर उन पर अनेक अत्याचार किए और धर्म बदलने के लिए दवाब बनाया। लेकिन माता गुजरी और दोनों साहिबजादों ने इससे इनकार कर दिया। उस समय बाबा जोरावर की उम्र 7 और बाबा फतेहसिंह की 9 साल थी। जब माता गुजरी ने साहिबजादों ने वजीर की बात मानने से इंकार कर दिया तो गुस्सा होकर उसने 26 दिसंबर 1705 को दोनों साहिबजादों को दीवार में जिंदा चुनवा दिया। इसके कुछ दिन बाद माता गुजरी ने भी अपना शरीर त्याग दिया।
गुरु गोबिंदसिंह के 2 बेटे और भी थे जिनके नाम बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझारसिंह था। ये दोनों भी इसी दौरान चमकौर की जंग में शहीद हो गए। इस जंग में सिर्फ 40 सिखों ने हजारों की मुगल फौज से बहादुरी से युद्ध किया और धर्म की रक्षा करते हुए शहादत प्राप्त की। इस तरह कुछ ही दिनों में गुरु गोविंद सिंह ने अपने सहित पूरे परिवार को देश-धर्म की राह पर कुर्बान कर दिया।
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