Vikram Samvat 2080: कैसे शुरू हुआ विक्रम संवत्, किसने शुरू किया, क्या ये अंग्रेजी कैलैंडर से भी 57 साल आगे है?

Vikram Samvat 2080: वैसे तो पूरी दुनिया में अंग्रेजी कैलेंडर की ही मान्यता है, लेकिन इसके बाद भी अलग-अलग धर्मों में कई तरह के कैलेंडर प्रचलित हैं। विक्रम संवत भी इनमें से एक है। हर साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरूआत मानी जाती है।

 

Manish Meharele | Published : Mar 4, 2023 6:41 AM IST

उज्जैन. इस बार गुड़ी पड़वा का पर्व 22 मार्च को मनाया जाएगा। इसी दिन से हिंदू नववर्ष जिसे विक्रम संवत भी कहते हैं का 2080वां साल शुरू हो जाएगा। सुनने में भले ही आश्चर्य लगे, लेकिन विक्रम संवत (Vikram Samvat 2080) आधुनिक अंग्रेजी कैलेंडर से भी 57 साल आगे है। हिंदू धर्म के सभी व्रत-त्योहार विक्रम संवत के अनुसार ही मनाए जाते हैं। इसमें भी 12 महीने होते हैं। इन सभी महीनों का महत्व व परंपराएं भी अलग-अलग होती हैं। आगे जानिए किसने शुरू किया विक्रम संवत…

राजा विक्रमादित्य ने शुरू किया विक्रम संवत (How Vikram Samvat started)
किसी समय उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) पर राजा विक्रमादित्य का राज्य था। उनका शासन दूर-दूर तक फैला हुआ था। उन्होंने कई विदेशी आक्रांताओं को देश से भगाया और हिंदू धर्म का प्रचार-प्रसार किया। राजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की शुरूआत की ज्योतिषीय गणना कहती है कि 2080 साल पहले विक्रम संवत की शुरुआत हुई जो कि अंग्रेजी साल से भी 57 साल आगे है क्योंकि अभी अंग्रेजी कैलेंडर का 2023वां साल ही चल रहा है।

हर साल का अलग नाम भी (Who started Vikram Samvat)
वैदिक ज्योतिष ने संवत्सरों के नाम भी तय किए हैं, जो करीब 60 साल में एक बार आता है। वर्तमान में नल नाम का संवत्सर चल रहा है। 22 मार्च को शुरू होने वाले विक्रम संवत्सर 2080 का नाम पिंगल है। इसके राजा बुध और मंत्री शुक्र रहेगा। अंग्रेजी कैलेंडर की तरह इसमें भी 12 महीने होते हैं। इन महीनों के नाम इस प्रकार हैं- चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन, भादौ (भाद्रपद), आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन।

चैत्र प्रतिपदा से ही क्यों शुरू होता है विक्रम संवत?
पुरातन समय से ही हिंदू धर्म काफी उन्नत रहा है। ज्योतिष शास्त्र व धर्म ग्रंथों में भी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा का महत्व बताया गया है। ब्रह्म पुराण के अनुसार पितामह ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि निर्माण का कार्य प्रारम्भ किया था। इसीलिए इसे सृष्टि का प्रथम दिन माना जाता है। चारों युगों में सबसे प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ इसी तिथि से हुआ था। इसलिए राजा विक्रमादित्य ने इसी तिथि से विक्रम संवत की शुरूआत की।

श्रीराम और युधिष्ठिर का हुआ था राज्याभिषेक (Know the special things of Vikram Samvat)
धर्म ग्रंथों में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से जुड़ी और भी कई खास बातें बताई गई हैं, उसके अनुसार, त्रैतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी तिथि पर हुआ था। वहीं धर्मराज युधिष्ठिर भी इसी दिन राजा बने थे और उन्होंने ही युगाब्द (युधिष्ठिर संवत) का आरंभ इसी तिथि से किया था। महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन की गई थी।



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