
उज्जैन. भारत को परंपराओं का देश कहा जाता है, लेकिन यहां कुछ परंपराएं ऐसी भी हैं जिनके बारे में जानकर हर कोई दांतों तले अंगुलियां दबाने को मजबूर हो जाता है। कुछ ऐसी ही परंपरा ओडिशा के क्योंझर व मयूरभंज जिले में रहने वाले आदिवासी समुदाय द्वारा निभाई जाती है। (weird Tradition) यहां छोटे बच्चों की शादी कुत्तों के साथ करवाई जाती है। इसके पीछे इनका तर्क है कि ऐसा करने से बच्चों पर से बुरे ग्रहों का दोष समाप्त हो जाता है और उनके जीवन में खुशहाली बनी रहती है। आगे जानिए क्या है ये परंपरा…
किन बच्चों की जाती है कुत्तों से शादी?
आदिवासी परंपराओं के अनुसार, जिन बच्चों के ऊपर के दांत पहले निकल आते हैं, उनका विवाह कुत्तों के साथ जरूर करवाया जाता है। मान्यता है कि ऊपर के दांत पहले निकलने की वजह से उन बच्चों पर ग्रहों व बुरी आत्माओं का प्रभाव बढ़ जाता है, जिसके उनके जीवन पर संकट मंडराने लगता है। इसी दोष को दूर करने के लिए बच्चों की शादी कुत्तों से करवाई जाती है।
जश्न मनाकर निभाते हैं ये परंपरा
ऐसा नहीं है कि ऊपर का दांत निकलते ही बच्चों की शादी तुरंत कुत्ते से करवाई जाती है। इसके लिए एक मुहूर्त तय किया जाता है जैसे मकर संक्रांति या होली। इस मौके पर आदिवासी समुदाय के लोग इकट्ठा होकर जश्न मनाते हैं और जितने भी बच्चों के ऊपर के दांत पहले निकले होते हैं, उनकी शादी कुत्तों से करवाते हैं। इनमें दूधमुंहे बच्चों से लेकर 5 साल तक बच्चे शामिल रहते हैं।
कुत्तों को भी लगाते हैं हल्दी
इस अनोखी परंपरा के दौरान छोटे बच्चों के साथ-साथ कुत्तों को भी हल्दी लगाई जाती है। छोटी बच्चियों की शादी कुत्ते से और बच्चों की शादी कुतिया से करवाई जाती है। शादी संपन्न होते ही महिलाएं बच्चों और कुत्तों को अपने साथ घर ले जाती हैं, जहां उन्हें खाना खिलाया जाता है और सभी लोग नाच-गाकर उत्सव मनाते हैं। सिर्फ उड़ीसा ही नहीं बल्कि झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में भी इस तरह की परंपरा निभाने का चलन है।
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