कहीं करते पूर्वजों को याद तो कहीं तंत्र साधना, ये हैं दिवाली की अनोखी परंपराएं

भारत को अनेकता में एकता वाला देश कहते हैं। यहां एक ही त्योहार पर कईं अनोखी परंपराएं देखने को मिलती है। ऐसा ही एक त्योहार है दिवाली। देश के अलग-अलग हिस्सों में दिवाली की अनोखी परंपराएं निभाई जाती हं।

 

Manish Meharele | Published : Oct 26, 2024 3:55 AM IST / Updated: Oct 26 2024, 09:26 AM IST

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कब है दीपावली 2024?

दीपावली भारत का सबसे प्रमुख त्योहार है। भारत के हर हिस्से में ये त्योहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस बार दीपावली 31 अक्टूबर, गुरुवार को है। कुछ राज्यों व शहरों में दिवाली से जुड़ी अनोखी परपराएं भी देखने को मिलती हैं। दिवाली पर कहीं पूर्वजों को याद किया जाता है तो कहीं काली चौदस मनाई जाती है। आगे जानिए दीपावली से जुड़ी कुछ ऐसी ही अजब-गजब परंपराओं और मान्यताओं के बारे में…

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यहां करते हैं पूर्वजों की पूजा

ओडिसा दक्षिण भारत का एक राज्य है। यहां दिवाली के मौके पर लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं पूजा में शामिल होने के लिए प्रार्थना भी करते हैं। की जाती है। यहां के लोग दिवाली की रात जूट की रस्सियां जलाकर रोशनी करते हैं ताकि पूर्वजों को स्वर्ग से आते हुए अंधेरे का सामना न करना पड़े।

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यहां मनाते काली चौदस

कोलकाता में दिवाली पर देवी लक्ष्मी की नहीं बल्कि देवी दुर्गा की पूजा करने की परंपरा है। दिवाली से एक दिन पहले काली चौदस का पर्व मनाया जाता है। कई घरों में मां काली की मूर्ति स्थापना दो दिन पहले ही कर ली जाती है। कुछ स्थानों पर इस दिन तंत्र-मंत्र साधना भी की जाती है।

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यहां होती है चूल्हे की पूजा

तमिलनाडु में दिवाली से पहले घर के चूल्हे को अच्छी तरह से साफ किया जाता है और इसके ऊपर हल्दी या कुमकुम से पांच बिंदी लगाई जाती है। लक्ष्मी पूजा करते समय चूल्हे की पूजा भी की जाती है। दिवाली की सुबह जल्दी उठकर लोग पहले तेल मालिश करते हैं और फिर स्नान आदि करने के बाद मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं।

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यहां नरक चतुर्दशी मुख्य उत्सव

आंध्र प्रदेश में दिवाली पर लक्ष्मी पूजा से ज्यादा नरक चतुर्दशी का महत्व है। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर राक्षस का वध किया था। इसलिए नरक चतुर्दशी पर यहां श्रीकृष्ण और देवी सत्यभामा की मिट्टी को मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करते हैं।

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महाराष्ट्र में होती है गाय-बछड़े की पूजा

महाराष्ट्र में दीपावली उत्सव चार दिनों तक मनाया जाता है। इसके पहले दिन गाय-बछड़े की पूजा की जाती है। अगले दिन नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय से पहले विशेष उबटन कर स्नान किया जाता है, जिसे अभ्यंग स्नान कहते हैं। इसके अगले दिन दीपावली पर लक्ष्मी पूजा की परंपरा है।

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अयोध्या में जलाते हैं लाखों दीपक

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में सरकार द्वारा स्थानीय प्रशासन की मदद से दिवाली के मौके पर सरयू नदी के किनारे लाखों दीपक जलाएं जाते हैं। दीपकों की संख्या इतनी होती है कि यहां हर साल नया रिकार्ड बनता है। इस दृश्य को देखने यहां लाखों लोग आते हैं।


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इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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