Rangpanchami 2025: Rangpanchami 2025: होली के 4 दिन बाद रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को पक्के रंग लगाते हैं। इस पर्व से जुड़ी कईं अनोखी परंपराएं भी हैं।
Rangpanchami 2025: हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंगपंचमी का पर्व मनाया जाता है। ये उत्सव खासतौर पर मध्य प्रदेश के मालवा प्रांत (इंदौर, उज्जैन, देवास आदि) के प्रमुख शहरों में मनाने की परंपरा है। इस दिन लोग एक-दूसरे को पक्के रंग लगाकर शुभकामनाएं देते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में इस दिन विभिन्न परंपराएं भी निभाई जाती हैं। जानें इस बार कब है रंगपंचमी और ये क्यों मनाते हैं…
रंगपंचमी का पर्व चैत्र कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर किया जाता है। इस बार ये तिथि 19 मार्च, बुधवार को है यानी इसी दिन रंगपंचमी मनाई जाएगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब हिरण्यकश्यिपु ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए अग्नि में अपनी बहन होलिका के साथ बैठा या तो 5 दिन तक वे दोनों उस अग्नि में ही बैठे रहे। पांचवें दिन होलिका का अंत हो गया और प्रह्लाद जीवित बच गए। ये देख लोगों में उत्साह छा गया और सभी ने रंग-गुलाल से उत्सव मनाया। तभी से रंगपंचमी का पर्व मनाया जा रहा है।
रंगपंचमी पर मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले के करीला गांव में रामजानकी मंदिर में मेला लगता है। इस मंदिर में माता जानकी के साथ उनके पुत्र लव-कुश और गुरु वाल्मीकि की प्रतिआएं स्थापित हैं। कहते हैं कि माता सीता ने ने यहीं लव-कुश को जन्म दिया था।
रंगपंचमी के मौके पर पर मध्य प्रदेश के इंदौर में गैर निकाली जाती है। ये गैर यूनेस्कों की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। इसकी वजह है कि इस गैर में 2 से 3 लाख लोग शामिल होते हैं। ये गैर इंदौर की पहचान बन चुकी है।
12 ज्योतिर्लिंगों में से तीसरे महाकालेश्वर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित हैं। रंगपंचमी के मौके पर महाकाल की गैर निकाली जाती है। इस गैर में भगवान महाकाल का वैभव दिखाई देता है। गैर में कई लोग देवी-देवताओं और भूत-प्रेत का रूप बनाकर चलते हैं। गैर में टेसू के फूलों से बना रंग का उपयोग किया जाता है।