Chaturmas 2025: कब से शुरू होगा चातुर्मास, कब तक रहेगा?

Published : Jul 03, 2025, 09:21 AM ISTUpdated : Jul 03, 2025, 09:22 AM IST
Chaturmas 2025 dos and donts

सार

Chaturmas 2025: धर्म ग्रंथों में चातुर्मास का विशेष महत्व बताया गया है। चातुर्मास बारिश के 4 महीनों को कहते हैं जिनमें सावन, भादौ, आश्विन और कार्तिक मास आते हैं। चातुर्मास से जुड़ी अनेक परंपराएं व नियम हैं।

Kab Se Shuru Hoga Chaturmas 2025: हम सभी ने अपने जीवन में कभी न कभी चातुर्मास के बारे में जरूर सुना होगा। अनेक धर्म ग्रंथों में भी चातुर्मास का महत्व बताया गया है। चातुर्मास को बहुत ही पवित्र समय माना गया है। चातुर्मास का अर्थ है 4 महीने यानी सावन, भादौ, आश्विन और कार्तिक। चातुर्मास में कुछ विशेष काम करने की मनाही है जैसे विवाह व अन्य मांगलिक कार्य। इसके पीछे कईं कारण हैं। आगे जानिए साल 2025 में कब से शुरू होग चातुर्मास…

कब से शुरू होगा चातुर्मास 2025? (Chaturmas 2025 Date)

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, चातुर्मास की शुरूआत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से होती है, जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है और चातुर्मास का समापन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को होता है, जिसे जिसे देवप्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। इस बार चातुर्मास की शुरूआत 6 जुलाई से शुरू होकर 1 नवंबर तक रहेगा।

चातुर्मास में शुभ कार्य क्यों नहीं?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु पाताल में जाकर विश्राम करते हैं और शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि के लिए भगवान विष्णु का जाग्रत रहना आवश्यक है। ऐसी स्थिति में 4 महीनों के लिए शुभ कार्य जैसे विवाह आदि पर रोक लग जाती है। कार्तिक मास में देवप्रबोधिनी एकादशी पर जब भगवान विष्णु जागते हैं तब पुन: शुभ कार्यों की शुरूआत हो जाती है।

क्या है चातुर्मास की मान्यता?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, चातुर्मास के अंतर्गत जब भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम करते हैं तो इस दौरान वे सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी महादेव को सौंप देते हैं। यानी चातुर्मास में भगवान विष्णु ही पूरे ब्रह्मांड का पालन-पोषण करते हैं। 4 महीने बाद जब भगवान विष्णु जागते हैं तो महादेव पुन: उन्हें सृष्टि सौंप कर कैलाश पर्वत पर चले जाते हैं।

चातुर्मास में क्या करें-क्या नहीं?

चातुर्मास में दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, सगाई आदि मांगलिक कामों पर रोक रहती है। यानी इन कामों के लिए कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं होता। नए काम की शुरूआत भी इस दौरान नहीं की जाती। चातुर्मास में भगवान की भक्ति, मंत्र जाप, पूजा आदि काम करने का विशेष शुभ फल मिलता है।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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