नकुल-सहदेव को जन्म देकर पांडवों की इस मां ने क्यों किया था आत्मदाह?

Mahabharata Facts: महाभारत के अनुसार, कुंती के अलावा महाराज पांडु की एक और पत्नी भी थी, जिनका नाम माद्री था। नकुल और सहदेव माद्री की ही संतान थे। माद्री राजा पांडु के साथ ही सती हो गई थी।

 

Manish Meharele | Published : Oct 14, 2024 8:32 AM IST

महाभारत में पांडवों की माता कुंती के बारे में सभी जानते हैं लेकिन पांडवों की एक और मां भी थी, जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। दरअसल महाराज पांडु की कुंती के अलावा एक और पत्नी भी थी, जिनका नाम माद्री था। नकुल और सहदेव इनकी ही संतान थीं। माद्री से जुड़ी और भी रोचक बातें महाभारत में बताई गई हैं। आगे जानिए ये रोचक बातें…

कौन थीं माद्री, कैसे हुआ राजा पांडु से विवाह?
महाभारत के अनुसार, जब हस्तिनापुर के राजा पांडु थे, उस समय वे दिग्विजय यात्रा पर निकले। रास्ते में जो भी राज्य आए, उन्हें राजा पांडु ने जीत लिया। कुछ राजाओं ने अपनी मर्जी से ही राजा पांडु से संधि कर ली। जब राजा पांडु मद्र देश पहुंचे तो वहां के राजा शल्य ने एक मित्र की तरह उनका स्वागत किया और उनसे संधि कर ली। साथ ही राजा शल्य ने अपनी बहन माद्री का विवाह भी राजा पांडु से करवा दिया। इस तरह कुंती के अलावा माद्री भी राजा पांडु की पत्नी बनकर हस्तिनापुर में रहने लगीं।

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राजा पांडु को मिला श्राप
एक बार राजा पांडु जंगल में शिकार करने गए। वहां ऋषि किंदम हिरण के रूप में अपनी पत्नी के साथ सहवास कर रहे थे। राजा पांडु ने एक ही तीर में दोनों को मार दिया। मरने से पहले ऋषि किंदम ने राजा पांडु को श्राप दिया कि वे जब भी अपनी पत्नी से सहवास करेंगे, उनकी मृत्यु हो जाएगी। इस श्राप के कारण राजा पांडु ने राज-पाठ त्याग दिया और कुंती और माद्री के साथ वन में रहने लगे।

माद्री के पुत्र थे नकुल-सहदेव
वन में रहते हुए राजा पांडु को ध्यान आया कि बिना पुत्र के तो मृत्यु के बाद सद्गति नहीं मिलती। जब ये बात उन्होंने कुंती तो बताई तो कुंती ने राजा पांडु के कहने पर विशेष मंत्रों के बल से देवताओं को आवाहन किया, जिससे युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन पैदा हुए। कुंती ने ये मंत्र माद्री को भी बताया। माद्री ने देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमार का आवाहन किया, जिससे नकुल और सहदेव पैदा हुए।

कैसे हुई माद्री की मृत्यु?
एक बार राजा पांडु और माद्री वन में अकेले घूम रहे थे, तभी उनके मन में काम वासना जाग्रत हो गई। माद्री ने राजा पांडु को रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने और ऋषि किंदम के श्राप के चलते उसी समय उनकी मृत्यु हो गई। जब ये बात कुंती को पता चली तो वह भी बहुत दुखी हुई। माद्री ने अपने पुत्र नकुल और सहदेव को कुंती को सौंपा और राजा पांडु के शव के साथ ही सती हो गई।


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इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।


 

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