
Sunderkand Significance: भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र पर अनेक ग्रंथ लिखे गए लेकिन इनमें से गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा लिखी गई रामचरित मानस सबसे अधिक लोकप्रिय है। रामचरित मानस में कुल 7 कांड यानी भाग हैं जिनमें भगवान श्रीराम के जन्म से लेकर आगे तक के जीवन का वर्णन मिलता है। इनमें से पांचवें कांड का नाम सुंदरकांड है। बहुत से लोगों को ये जानकारी ही नहीं है कि सुंदरकांड में सुंदर किसका नाम है जिसके आधार पर इस कांड का ये नाम रखा गया। आगे जानिए सुंदरकांड का सुंदरकांड ही क्यों रखा गया…
ये भी पढ़ें-
Hanuman Puja: हनुमानजी को कैसे चढ़ाएं चोला? पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से जानें 5 बातें
गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा लिखी गई श्रीरामचरित मानस में 7 कांड यानी अध्याय हैं- इनमें से सबसे पहला है बालकांड जिसमें भगवान श्रीराम के बचपन का वर्णन है। इसके बाद अयोध्या कांड में श्रीराम को वनवास दिए जाने और तीसरे कांड में श्रीराम के वन गमन के बारे में बताया गया है। चौथा कांड है किष्किंधा कांड जब श्रीराम किष्किंधा पहुंचते हैं। पांचावां कांड है सुंदरकांड जिसमें हनुमानजी द्वारा माता सीता की खोज का वर्णन है। लंका कांड में रावण वध के बारे में बताया गया है और उत्तरकांड में श्रीराम के राज्याभिषेक का।
ये भी पढ़ें-
Makar Sankranti: साल 2026 में कब है मकर संक्रांति, 14 या 15 जनवरी? नोट करें सही डेट
ऊपर बताए गए 7 कांडों में 6 के नाम तो उनके स्थान या स्थितियों के आधार पर रखे गए हैं, जैसे बालकांड में भगवान श्रीराम के बचपन का वर्णन है और अयोध्या कांड में वहां हुई घटनाओं का। लेकिन पांचवें अध्याय का नाम सुंदरकांड क्यों है, इसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है क्योंकि इस कांड में तो हनुमानजी द्वारा सीता खोज के बारे में बताया गया है।
सुंदरकांड की सबसे प्रमुख घटना है हनुमानजी द्वारा देवी सीता की खोज करना। ये घटना अशोक वाटिका में हुई थी, ये बात तो सभी जानते हैं। वाल्मीकि रामायण अनुसार लंका त्रिकूट पर्वत पर स्थित थी। इसके तीन भाग थे, जिस भाग पर अशोक वाटिका थी, उसका नाम सुंदर था। चूंकि सुंदरकांड की सबसे प्रमुख घटना सुंदर पर्वत पर हुई, इसलिए इस कांड का नाम सुंदरकांड रखा गया।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।