Ayudha Puja 2022: क्यों की जाती है आयुध पूजा? जानें इसका महत्व, इतिहास और शुभ मुहूर्त

Ayudha Puja 2022: धर्म ग्रंथों के अनुसार, आश्विन मास के दौरान नवरात्रि महोत्सव मनाया जाता है। इस पर्व से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। आयुध पूजा भी इनमें से एक है। इसे शस्त्र पूजा भी कहते हैं।
 

उज्जैन. नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी तिथि पर देश के अलग-अलग हिस्सों में कई रोचक परंपराएं निभाई जाती हैं। आयुध पूजा भी इनमें से एक है। इस बार आयुध पूजा 4 अक्टूबर, मंगलवार को की जाएगी। आयुध पूजा मुख्य रूप से दक्षिण भारत के कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय पर्व है। इस दिन क्षत्रिय अपने शस्त्रों की, शिल्पकार अपने औजारों की पूजा करते हैं। जो लोग वाहन संबंधित काम करते हैं वो अपने वाहनों की पूजा करते हैं। आगे जानिए आयुध पूजा से जुड़ी खास बातें…

आयुध पूजा के शुभ मुहूर्त (Ayudha Puja 2022 Shubh Muhurat)
- सुबह 09:25 से 10:53 तक
- सुबह 10:53 से दोपहर 12:22 
- दोपहर 12:22 से 01:50 
- दोपहर 03:19 से शाम 04:48 

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क्यों की जाती है आयुध पूजा? (Why Do Ayudha Puja)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब महिषासुर दैत्य का आतंक बहुत बढ़ गया तो देवताओं ने देवी दुर्गा का आवाहन किया। देवी प्रकट हुई और देवताओं ने उन्हें अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। इन्हीं शस्त्रों की सहायता से देवी ने महिषासुर का वध किया। ये तिथि आश्विन शुक्ल दशमी थी। इस युद्ध में शस्त्रों ने काफी अहम भूमिका निभाई थी, जिनके बल पर देवी ने अधर्म पर विजय प्राप्त की। अस्त्रों के महत्व को समझते हुए ही विजयादशमी पर आयुध पूजा की परंपरा बनाई गई।
 
अस्त्र-शस्त्रों के साथ औजारों की भी पूजा (Importance of Ayudha Puja)
दक्षिण भारत में आयुध पूजा के मौके पर बुद्धि की देवी सरस्वती, धन की देवी लक्ष्मी और देवी पार्वती की पूजा की परंपरा भी है क्योंकि ये तीनों देवियां ही जीवन यापन में हमारी सहायता करती हैं। आयुध पूजा में अस्त्र-शस्त्रों पर मौली (पूजा का धागा) बांधी जाती है और तिलक लगाया जाता है। लोग अपनी मशीनों और औजारों की पूजा भी इसी तरीके से करते हैं। वहीं विद्यार्थी अपनी किताबों की पूजा करते हैं और संगीतकार अपने वाद्य यंत्रों की। यानी जिन वस्तुओं के माध्मय से आपका जीवन-यापन हो रहा है, ये दिन उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है।


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