Chhath Puja 2022: छठ व्रत में इस विधि से करें सूर्यदेव की पूजा, जानें शुभ योग, मुहूर्त, कथा व महत्व

Chhath Puja 2022: छठ पूजा उत्तर भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस व्रत में मुख्य रूप से सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा की जाती है। इस दौरान लाखों व्रती (व्रत करने वाले) श्रद्धापूर्वक कठोर नियमों का पालन करते हुए व्रत-उपवास करते हैं। 
 

उज्जैन. छठ उत्सव बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड आदि प्रदेशों में मुख्य रूप से मनाया जाता है। इस व्रत के दौरान 36 घंटे का व्रत कर कठोर नियमों का पालन किया जाता है। लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath Puja 2022) महापूजा का आज (30 अक्टूबर, रविवार) तीसरा दिन है। इस दिन अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की जाती है। इस दिन सूर्य देवता और छठी मैया को अनेक चीजें चढ़ाई जाती हैं, इनमे, फल, फूल, सब्जी आदि कई चीजें शामिल होती हैं। आगे जानिए छठ पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री व अन्य खास बातें… 

छठ पूजा के शुभ योग और मुहूर्त (Chhath Puja Shubh Muhurat)
30 अक्टूबर, रविवार को षष्ठी तिथि पूरे दिन रहेगी। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से सिद्धि, शुभ, सुकर्मा और धृति नाम के 4 शुभ योग बनेंगे। इन चार शुभ योगों में छठ पूजा करने से इसका महत्व और भी बढ़ जाएगा। इस दिन संध्याकालीन अर्ध्य देने का शुभ मुहूर्त शाम 05.37 से शुरू होगा।

ये है छठ पूजा की सामग्री (Chhath Puja 2022 Samagri List)
धूप या अगरबत्ती, शकरकंदी, सुथनी, गेहूं, चावल का आटा, गुड़, ठेकुआ, व्रती के लिए नए कपड़े, 5 पत्तियां लगे हुए गन्ने, दूध और जल का अर्घ्य देने के लिए एक लोटा, इनके अलावा थाली, पान, सुपारी, चावल, सिंदूर, घी का दीपक, शहद,  मूली, अदरक और हल्दी का हरा पौधा, बड़ा वाला नींबू, फल-जैसे सिंघाड़ा और केला, पानी वाला नारियल, मिठाईयां, प्रसाद रखने के लिए बांस की दो टोकरी, बांस या फिर पीतल का सूप।

Latest Videos

इस विधि से करें छठ पूजा (Chhath Puja Vidhi)
- छठ पूजा की सुबह जल्दी उठकर किसी झील, तालाब या नदी में स्नान करें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें और शाम को सूर्यास्त के समय सूर्य देवता की पूजा करें। शुद्ध घी का दीपक जलाएं और फूल व अन्य चीजें चढ़ाएं। 
- पानी में चावल, चंदन, तिल आदि डालकर सूर्य देवता को अर्घ्य दें और ॐ घृणिं सूर्याय नमः, ॐ घृणिं सूर्य: आदित्य:, ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा या फिर ॐ सूर्याय नमः 108 बार बोलें।
- इसके बाद अपनी इच्छा अनुसार ब्राह्मणों को दान करें। गरीबों को भोजन करवाएं। छठी मैया को प्रणाम कर परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करें। इस प्रकार सूर्यदेव और छठ देवी की पूजा करने से सभी सुख प्राप्त होते हैं।

किसने शुरू की छठ पूजा की परंपरा? (Who started the tradition of Chhath Puja?)
श्रीमद्देवी भागवत के अनुसार, प्रियवद नाम के एक राजा थे, उनकी कोई संतान नहीं थी। बहुत समय बाद उनकी पत्नी गर्भवती हुई, लेकिन उन्होंने मृत पुत्र को जन्म दिया। जब राजा प्रियवद अपने मृत पुत्र को लेकर श्मशान गए तो वहां षष्ठी देवी प्रकट हुई और उन्होंने उस मृत बालक को जीवित कर दिया। उस दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि थी। तभी से षष्ठी देवी यानी छठी मैया की पूजा की परंपरा चली आ रही है।

कौन हैं छठी मैया? (Who is Chhathi Maiya)
धर्म शास्त्रों के अनुसार, षष्ठी देवी यानी छठी मैया सूर्यदेव की बहन है। यही देवी नवजात बच्चों की रक्षा करती हैं। मार्कण्डेयपुराण सहित अन्य कई ग्रंथों में इन देवी के बारे में बताया गया है।  प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इन देवी को ही षष्ठी देवी कहा गया है। इनकी कृपा से ही बच्चों को आरोग्य (अच्छी सेहत) व दीर्घायु (लंबी उम्र) प्राप्त होती है। 


ये भी पढ़ें-

Chhath Puja 2022: सतयुग से चली आ रही है छठ पूजा की परंपरा, ये हैं इससे जुड़ी 4 कथाएं


Chhath Puja 2022: क्यों किया जाता है छठ व्रत, क्या है इससे जुड़ी मान्यता, कौन हैं छठी मैया?
 

Share this article
click me!

Latest Videos

पहली बार सामने आया SDM थप्पड़ कांड का सच, जानें उस दोपहर क्या हुआ था । Naresh Meena । Deoli-Uniara
क्या है Arvind Kejriwal का मूड? कांग्रेस के खिलाफ फिर कर दिया एक खेल । Rahul Gandhi
Dehradun Car Accident CCTV Video: हादसे से पहले कैमरे में कैद हुई इनोवा | ONGC Chowk
Dev Diwali 2024: देव दिवाली आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और सबसे खास उपाय
'मुझे लव लेटर दिया... वाह मेरी महबूबा' ओवैसी का भाषण सुन छूटी हंसी #Shorts