Durva Ganpati Vrat 2022: 1 अगस्त को इस विधि और मुहूर्त में करें दूर्वा गणपति व्रत, श्रीगणेश दूर करेंगे परेशानी

Durva Ganpati Vrat 2022: प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत-पूजा की जाती है। इसी क्रम में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को दूर्वा गणपति व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 1 अगस्त, रविवार को है। 
 

Manish Meharele | Published : Jul 31, 2022 10:35 AM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को दूर्वा गणपति व्रत (Durva Ganpati Vrat 2022) किया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी भी कहते हैं। इस बार ये तिथि 1 अगस्त, सोमवार को है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस व्रत में गणेशजी को दूर्वा (एक विशेष प्रकार की घास) चढ़ाने का विधान है। मान्यता है कि दूर्वा गणपति का व्रत करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इस व्रत का वर्णन स्कंद, शिव और गणेश पुराण में भी बताया गया है। आगे जानिए इस व्रत की विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…

दूर्वा गणपति व्रत के शुभ मुहूर्त (Durva Ganpati Vrat 2022 Shub Muhurat)
पंचांग के अनुसार, श्रावण शुक्ल चतुर्थी तिथि की शुरुआत  01 अगस्त, सोमवार तड़के 04:18 से 02 अगस्त, मंगलवार की सुबह 05:13 तक रहेगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11: 06 से दोपहर 01: 48 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 से 12:54 तक रहेगा।

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इस विधि से करें पूजा (Durva Ganpati Vrat 2022 Puja Vidhi)
1 अगस्त की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें। इसके बाद अपनी इच्छा अनुसार चौकी पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें। फिर ऊं गं गणपतयै नम: मंत्र बोलते हुए जितनी पूजा सामग्री (अबीर, गुलाल, कुंकुम, चावल, इत्र, सुपारी, जनेऊ, पचरंगी धागा, पान ) उपलब्ध हो उनसे भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। फिर 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। गुड़ या बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग भी लगाएं। इसके बाद आरती करें और फिर प्रसाद बांट दें।

दूर्वा चढ़ाते समय इस बात का ध्यान
वैसे तो श्रीगणेश की हर पूजा में दूर्वा विशेष रूप से चढ़ाई जाती है लेकिन इस व्रत में दूर्वा चढ़ाने का महत्व कहीं अधिक है। दूर्वा एक खास तरह की घास है, जो आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इसे तोड़कर पहले साफ पानी से धोना चाहिए। इसके बाद इस पर हल्दी लगाकर श्रीगणेश को चढ़ाना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि दूषित स्थान से दूर्वा न तोड़ें। श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने से सभी रुकावटें दूर हो सकती हैं।


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