Hal Shashthi 2022: 17 अगस्त को इस विधि से करें हल षष्ठी व्रत-पूजा, जानें कथा और महत्व भी

Hal Shashthi 2022 Date: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। इसे हलछठ भी कहते हैं। इस बार ये पर्व 17 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा। इसी तिथि पर श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। 
 

उज्जैन. महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का पात्र भी बहुत अहम है। बलराम ने ही दुर्योधन को गदा युद्ध सिखाया था। महाभारत युद्ध के अंत में जब भीम और दुर्योधन के बीच गदा युद्ध हुआ, तब उसके निर्णायक भी बलराम ही थे। और भी कई मौकों पर बलराम ने अहम भूमिका निभाई। हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान बलराम का जन्म दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 17 अगस्त, बुधवार को है। इस पर्व को हल षष्ठी (Hal Shashthi 2022) और हलछठ भी कहते हैं। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए पूजन करती हैं। आगे जानिए पूजा विधि व शुभ मुहूर्त…

हल षष्ठी व्रत के शुभ मुहूर्त (Hal Shashthi 2022 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 16 अगस्त, मंगलवार को रात 08.19 से शुरू होगी और 17 अगस्त, बुधवार रात 09.21 मिनट तक रहेगी। 17 अगस्त को उदया तिथि होने के चलते इसी दिन हल षष्ठी का व्रत किया जाएगा। इस पूरे दिन हल षष्ठी की पूजा की जा सकेगी। 

इस विधि से करें हलषष्ठी व्रत और पूजा (Hal Shashthi 2022 Puja Vidhi)
- हल षष्ठी की सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। ये व्रत निराहार यानी बिना कुछ खाए-पिए किया जाता है। अगर ऐसा संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। ये व्रत करने से धन, ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति होती है।
- हल षष्ठी के दिन किसी दीवार पर भैंस के गोबर से छठ माता का चित्र बनाएं और फिर भगवान श्रीगणेश और माता पार्वती की पूजा करने के बाद छठ माता की पूजा भी करें। 
- इस दिन कई जगह महिलाएं घर में ही प्रतीक रूप में तालाब बनाकर कई तरह के पेड़ लगाती हैं और पूजा अर्चना करती हैं।
- - इस दिन गाय के दूध व उससे बनी चीजें खाने की मनाही है। मुख्य रूप से इस व्रत में बिना हल चले धरती का अन्न व शाक भाजी खाने का विशेष महत्व है। 

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ये है हल षष्ठी व्रत की कथा (Hal Shashthi 2022 Katha)
- हल षष्ठी से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक महिला दूध-दही बेचकर अपना परिवार चलाती थी। जब वह महिला गर्भवती हुई तब भी वह अपना काम नियत समय पर करती थी। 
- एक दिन जब वह इसी हालत में दूध बेचने जा रही थी, उसी समय प्रसव पीड़ा हुई। तब वह एक झरबेरी के पेड़ के नीचे बैठ गई और एक पुत्र को जन्म दिया। थोड़ी देर बाद महिला को स्वयं को संभाला।
- तभी उसे दूध खराब होने की चिंता सताने लगी। तब उसने अपने पुत्र को पेड़ के नीचे सुलाया और दूध बेचने गांव चली गई। उस दिन हलछठ का व्रत था और सभी को भैंस का दूध चाहिए था। - महिला ने लालच के चलते गाय के दूध को भैंस का बताकर बेच दिया। क्रोधित होकर छठ माता ने उसके बेटे के प्राण हर लिए। महिला जब लौटकर आई तो अपने पुत्र को देखकर रोने लगी।  गलती का अहसास होने पर उसने सभी लोगों से माफी मांगी।
- ऐसा करने से छठ माता प्रसन्न हो गई और उन्होंने उस महिला के पुत्र को जीवित कर दिया। इसलिए हल षष्ठी पर पुत्र की लंबी उम्र के लिए व्रत किया जाता है।


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