Putrada Ekadashi 2022: 8 अगस्त को पुत्रदा एकादशी पर इस विधि से करें व्रत-पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, कथा व महत्व

Putrada Ekadashi 2022 Puja Vidhi: धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों में एकादशी तिथि आती है। इस तरह साल में 24 एकादशी का योग बनता है। इन सभी एकादशियों का अलग-अलग नाम और महत्व पुराणों में बताया गया है। 

उज्जैन. एक साल में 24 एकादशी तिथि आती है। इनमें से श्रावण शुक्ल एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 8 अगस्त, सोमवार को है। ये सावन का अंतिम सोमवार भी रहेगा। इस दिन रवि और पद्म नाम के 2 शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके चलते इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ गया है। मान्यता है किस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है। आगे जानिए इस एकादशी के से जुड़ी खास बातें…

पुत्रदा एकादशी के शुभ मुहूर्त (Putrada Ekadashi 2022 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, श्रावण शुक्ल एकादशी तिथि 07 अगस्त की सुबह 11.50 से शुरू होकर 08 अगस्त की रात 09 बजे तक रहेगी। एकादशी तिथि का उदय काल 8 अगस्त को रहेगा, इसलिए इसी दिन एकादशी व्रत करना श्रेष्ठ रहेगा।  8 अगस्त को रवि योग सुबह 05.46 से दोपहर 02.37 तक रहेगा। वहीं इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र होने से पद्म नाम शुभ योग बनेगा, यह भी दोपहर 02.37 तक रहेगा।

पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि (Putrada Ekadashi 2022 Puja Vidhi)
8 अगस्त की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद घर में किसी साफ-सुथरे स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। सबसे पहले शंख में जल प्रतिमा का अभिषेक करें। विष्णु प्रतिमा को चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद एक-एक करके चावल, फूल, अबीर, गुलाल, इत्र आदि चीजें चढ़ाएं। गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं। भगवान विष्णु को पीले वस्त्र अर्पित करें। बाद में मौसमी फल और गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं। दिन भर कुछ खाएं नहीं। रात को मूर्ति के पास बैठकर भजन-कीर्तन करें। अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद ही स्वयं पारणा करें। इस तरह व्रत और पूजा करने से योग्य संतान की कामना पूरी होती है।

Latest Videos

ये है पुत्रदा एकादशी की कथा (Putrada Ekadashi 2022 Katha)
किसी समय सुकेतुमान नाम के एक राजा थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। एक बार इसी बात पर विचलित होकर वे जंगल में चले गए। वहां उन्हें एक ऋषि मिले। राजा ने उन्हें अपनी समस्या बताई। ऋषि ने राजा को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने को कहा। राजा ने ये व्रत पूरी भक्ति और निष्ठा से किया, जिसके फलस्वरूप उनके यहां पुत्र का जन्म हुआ।

ये भी पढ़ें-

Sawan 2022: ये है शिवजी को प्रसन्न करने का सबसे आसान उपाय, सावन में कभी भी कर सकते हैं


Sawan 2022: जानिए भगवान शिव की कैसी तस्वीर घर में नहीं लगानी चाहिए और उसका कारण

Sawan 2022: यहां हुआ था शिव-पार्वती का विवाह, तब से आज तक नहीं बूझी इस हवनकुंड की अग्नि
 

Share this article
click me!

Latest Videos

योगी सरकार और BJP के ख़िलाफ़ जमकर दहाड़े AAP राज्यसभा सांसद संजय सिंह
पीएम मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र से पहले मीडिया को संबोधित किया
संभल मस्जिद विवाद: हिंसा के बाद इंटरनेट सेवा पर रोक, स्कूल-कॉलेज बंद
दिल्ली में बुजुर्गों के लिए बड़ी खुशखबरी! AAP ने दिया बहुत बड़ा तोहफा
राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ और मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच हुई तीखी बहस