श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2022) पर्व मनाया जाता है। ये परंपरा हजारों सालों के चली आ रही है, लेकिन इस दिन भद्रा पर विचार जरूर किया जाता है। इस बार रक्षाबंधन को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद है।
उज्जैन. ज्योतिष मत के अनुसार रक्षाबंधन पर अगर भद्रा काल हो तो इस दौरान भूलकर भी रक्षाबंधन पर्व नहीं मनाना चाहिए। इस बार ऐसा ही योग बन रहा है। मंदसौर के ज्योतिषाचार्य पं. यशवंत जोशी के अनुसार, 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि सुबह 11.08 से शुरू होगी, जो 12 अगस्त की सुबह 07.16 तक रहेगी। इसी दिन भद्रा तिथि सुबह 10:38 से रात 08:50 तक रहेगी। इस दौरान रक्षा बंधन पर्व मनाना शुभ नहीं रहेगा। तो रक्षाबंधन का पर्व कब मनाए, इसको लेकर सभी के मन में संशय है। इस बारे में ज्योतिष ग्रंथ क्या कहते हैं, आगे जानिए…
निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार…
भद्रा काल में किया गया कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता है। इस दौरान यदि भूल से कोई शुभ कार्य कर लिया जाए तो उसका अशुभ फल मिलता है।
"भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा।
श्रावणी नृपतिम् हन्ति, ग्रामं दहती फाल्गुनी।। " इति संग्रहोक्ते।
तत्सतवे तु रात्रावपी तदंते कुर्यादिति निर्णयामृते ll
अर्थ- भद्रा काल में रक्षाबंधन और होलिका दहन नहीं करना चाहिए। भद्रा काल में राखी बांधने से राजा और होलिका दहन करने से ग्राम का नाश हो जाता है। यदि दिन से रात्रि पर्यन्त भद्रा हो तो भद्रा के उपरांत रात्रि काल में रक्षाबंधन कर्म करें। निर्णयामृत में भी यही लिखा है।
इसलिए 11 अगस्त को मनाएं राखी
निर्णय सिंधु मत के अनुसार 11 अगस्त, गुरुवार की रात 08.50 के बाद राखी बांधना उचित होगा। धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार रक्षा सूत्र बांधते समय ये मंत्र जरूर बोलना चाहिए। इससे शुभ फल मिलते हैं…
" येन बद्दो बली राजा दानवेंद्रो महाबल:।
तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे माचल माचल ।।"
12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाना क्यों गलत?
कुछ ज्योतिषियों का कहना है श्रावण पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त से शुरू होकर अगले दिन 12 अगस्त की सुबह 07.16 तक रहेगी। चूंकि इस दिन भी उदया तिथि श्रावण पूर्णिमा रहेगी, इसलिए 12 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व मनाया जा सकता है। इस संबंध में उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा का कहना है कि चूंकि 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि तीन मुहूर्त से भी कम रहेगी और इसके तुरंत बाद भादौ मास शुरू हो जाएगा इसलिए 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन पर्व मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा।
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