Rukmini Ashtami 2022: कब है रुक्मिणी अष्टमी? जानें सही डेट, पूजा विधि, शुभ योग और महत्व

Rukmini Ashtami 2022: देवी लक्ष्मी ने ही द्वापरयुग में रुक्मिणी के रूप में जन्म लिया था और उनका विवाह भगवान श्रीकृष्ण के साथ हुआ था। हर साल पौष मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रुक्मिणी अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 16 दिसंबर, शुक्रवार को है।
 

उज्जैन. हिंदू पंचांग के दसवें महीने का नाम पौष है। इस बार पौष मास की शुरूआत 9 दिसंबर, शुक्रवार से हो रही है। इस महीने में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। रुक्मिणी अष्टमी (Rukmini Ashtami 2022) भी इनमें से एक है। ये पर्व पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 16 दिसंबर, शुक्रवार को है। मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर देवी लक्ष्मी ने रुक्मिणी के रूप में धरती पर जन्म लिया था। आगे जानिए इस पर्व से जुड़ी खास बातें…

रुक्मिणी अष्टमी पर बनेंगे ये शुभ योग (Rukmini Ashtami 2022 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 16 दिसंबर, शुक्रवार को पूरे दिन रहेगी। इस दिन पूर्वा और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने से सिद्धि और शुभ नाम के 2 शुभ योग बनेंगे। इनके अलावा प्रीति और आयुष्मान नाम के 2 अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेंगे। इस तरह ये पर्व 4 शुभ योगों में मनाया जाएगा, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है।   

Latest Videos

इस विधि से करें देवी रुक्मिणी की पूजा (Rukmini Ashtami 2022 Puja Vidhi)
- रुक्मिणी अष्टमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूज का संकल्प लें। इसके बाद घर में किसी स्थान पर साफ करें और गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध करें।
- उस स्थान पर एक चौकी लगाएं। उस पर देवी रुक्मिणी और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर श्रीकृष्ण-रुक्मिणी का  अभिषेक करें। 
- श्रीकृष्ण को पीला और देवी को लाल वस्त्र अर्पित करें। दोनों को माला पहनाएं। दीपक लगाएं। कुमकुम से तिलक करें और एक-एक करके अबीर, गुलाल, फूल हल्दी, इत्र, आदि चीजें चढ़ाते रहें।
- गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं, इसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालें। दिन भर उपवास करें। संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं। रात्रि जागरण करें। अगले दिन व्रत का पारण करें।

कैसे हुआ था श्रीकृष्ण-रुक्मिणी का विवाह?
श्रीमद्भागवत के अनुसार, रुक्मिणी के पिता का नाम भीष्मक था। देवी रुक्मिणी का विवाह उनका भाई रुक्मी शिशुपाल से करना चाहता था। लेकिन देवी रुक्मिणी, श्रीकृष्ण को अपना पति मान चुकी थीं। जिस दिन देवी रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से होने वाला था, उसी दिन श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया। श्रीकृष्ण को रोकने के लिए रुक्मी ने उनका रास्ता रोक लिया, लेकिन वह हार गया। रुक्मिणी के कहने पर श्रीकृष्ण ने उसे जीवनदान देकर छोड़ दिया। श्रीकृष्ण देवी रुक्मिणी को लेकर द्वारिक आ गए, यहां इनका विवाह हुआ।


ये भी पढ़ें-

Ekadashi Vrat List 2023: साल 2023 में कब, कौन-सी एकादशी का व्रत किया जाएगा? यहां जानें पूरी लिस्ट


Pradosh Vrat 2023 List: 2023 में कब-कब किया जाएगा प्रदोष व्रत? जानें पूरे साल की डिटेल

Surya Gochar December 2022: सूर्य के राशि बदलने से 3 राशि वाले रहें सावधान, हो सकता है कुछ बुरा


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे। 
 

Share this article
click me!

Latest Videos

43 साल बाद कुवैत पहुंचे भारतीय पीएम, जमकर लगे मोदी-मोदी के नारे
20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी
समंदर किनारे खड़ी थी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा, पति जहीर का कारनामा हो गया वायरल #Shorts
सचिन तेंदुलकर ने बॉलिंग करती लड़की का वीडियो शेयर किया, बताया भविष्य का जहीर खान #shorts
अब एयरपोर्ट पर लें सस्ती चाय और कॉफी का मजा, राघव चड्ढा ने संसद में उठाया था मुद्दा