Sankashti Chaturthi 2022: 12 नवंबर को इस विधि से करें संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें सही तारीख, मुहूर्त व महत्व

Published : Nov 12, 2022, 09:00 AM IST
Sankashti Chaturthi 2022: 12 नवंबर को इस विधि से करें संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें सही तारीख, मुहूर्त व महत्व

सार

Sankashti Chaturthi 2022: इस बार संकष्टी चतुर्थी का व्रत 12 नवंबर, शनिवार को किया जाएगा। इस दिन चतुर्थी तिथि सुबह से शाम तक रहेगी। इस व्रत का महत्व कई धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ चंद्रमा की पूजा भी की जाती है।

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2022) का व्रत किया जाता है। इस बार अगहन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 12 नवंबर, शनिवार को है। इसलिए इसी दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और व्रत करने वाले की हर इच्छा पूरी होती है। आगे जानिए कब करें संकष्टी चतुर्थी का व्रत, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…

कब करें चतुर्थी व्रत और जानें चंद्रोदय का समय? (Sankashti Chaturthi 2022 Shubh Muhurat)
विक्रम पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि का आरंभ 11 नवंबर, शुक्रवार की रात 08:17 से शुरू होकर 12 नवंबर, शनिवार की रात 10:26 तक रहेगी। चूंकि चतुर्थी तिथि का सूर्योदय और चंद्रोदय दोनों ही 12 नवंबर को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। शनिवार को सिद्ध और साध्य नाम के 2  शुभ योग इस दिन बनेंगे। इस दिन चंद्रोदय रात 8.21 पर होगा।   

इस विधि से करें संकष्टी चतुर्थी व्रत (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
- 12 नवंबर, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर कुछ भी खाए-पीएं नहीं और न ही कोई बुरे विचार मन में लाएं।
- शाम को चंद्रोदय से पहले घर के किसी स्थान को साफ कर लें और वहां एक पटिया यानी चौकी की स्थापना करें। उस पर लाल कपड़ा बिछा लें।
- इस चौकी थोड़े से चावल रखकर उसके ऊपर भगवान श्रीगणेश के चित्र या प्रतिमा की स्थापना करें और सबसे पहले शुद्ध घी का दीपक व अगरबत्ती जलाएं। 
- इसके बाद श्रीगणेश को तिलक और चावल लगाएं। हार-फूल चढ़ाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, रोली, चंदन, इत्र आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। 
- सबसे अंत में हल्दी लगी दूर्वा अर्पित करें और लड्डूओं का भोग लगाकर आरती करें। बाद में ये प्रसाद सभी लोगों में बांट दें।
- जब चंद्रमा उदय हो जाए तो पानी से अर्घ्य दें और कुंकुम, चावल आदि चीजें चढ़ाकर अपना व्रत पूर्ण करें। 

भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesh Arti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


ये भी पढें-

Hindu tradition: अगर कोई व्यक्ति सोया है तो उसे लांघना क्यों नहीं चाहिए? जानें कारण


Aghan Month 2022: 9 नवंबर से शुरू होगा हिंदू पंचांग का 9वां महीना अगहन, जानें क्यों खास है ये महीना?

Rashi Parivartan November 2022: नवंबर 2022 में कब, कौन-सा ग्रह बदलेगा राशि? यहां जानें पूरी डिटेल
 

PREV

Recommended Stories

Akhurath Chaturthi Vrat Katha: रावण ने क्यों किया अखुरथ चतुर्थी का व्रत? पढ़ें ये रोचक कथा
Akhurath Chaturthi 2025: अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कब, 7 या 8 दिसंबर? जानें मुहूर्त-मंत्र सहित पूरी विधि