Vinayaki Chaturthi November 2022: नवंबर 2022 में कब है विनायकी चतुर्थी? जानें डेट, पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

Vinayaki Chaturthi 2022: भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य कहा जाता है यानी हर शुभ काम से पहले इनकी पूजा आवश्यक रूप से की जाती है। श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए कई विशेष व्रत किए जाते हैं। विनायकी चतुर्थी भी इनमें से एक है।
 

Manish Meharele | Published : Nov 23, 2022 4:39 AM IST

उज्जैन. इस बार 27 नवंबर, रविवार को अगहन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन विनायकी चतुर्थी (Vinayaki Chaturthi November 2022) का व्रत किया जाएगा। इसे वरद चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ चंद्रमा की पूजा भी की जाती है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, उन्हें ये व्रत विशेष रूप से करना चाहिए। इससे उनकी परेशानियां कुछ कम हो सकती हैं। आगे जानिए इस व्रत के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और व अन्य खास बातें…

विनायकी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त (Vinayaki Chaturthi 2022 November Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, अगहन मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 नवंबर, शनिवार शाम 07:28 से 27 नवंबर, रविवार की शाम 04:25 तक रहेगी। इस दिन वृद्धि, रवि, सर्वार्थसिद्धि और शुभ नाम के 4 योग दिन भर रहेंगे। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11.06 से दोपहर 01.12 तक रहेगा। शाम को चंद्रमा उदय होने पर उसे भी पहले अर्घ्य दें और फिर व्रत पूर्ण करें।

इस विधि से करें भगवान श्रीगणेश की पूजा (Vinayaki Chaturthi November 2022 Puja Vidhi)
- 27 नवंबर, रविवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त में घर में किसी स्थान की साफ-सफाई करके वहां एक चौकी स्थापित करें।
- चौकी पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें। पहले माला चढ़ाएं और बाद में गाय के शुद्ध घी की दीपक जलाएं। श्रीगणेश को कुंकुम से तिलक करें। अबीर, गुलाल, कुंकम, चंदन आदि चीजें चढ़ाएं। 
- श्रीगणेश को मौसमी फल व पकवानों का भोग लगाएं। हल्दी लगी हुई दूर्वा भी विशेष रूप से अर्पित करें। दूर्वा के बिना श्रीगणेश की पूजा पूरी नहीं होती। इसके बाद आरती करें प्रसाद भक्तों को बांट दें।
- शाम को जब चंद्रमा उदय हो तो पानी से अर्घ्य दें और इसके बाद पहले थोड़ा प्रसाद ग्रहण करें और बाद ही भोजन करें। संभव हो तो अपनी इच्छा अनुसार, जरूरतमंदों को दान भी करें। 

भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


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