रोहित शर्मा और 250 रु. का वो दर्द, उस बुरे दौर को कभी याद नहीं करना चाहेगा कैप्टन का परिवार

वनडे विश्वकप 2023 में भारतीय क्रिकेट टीम के चौंकाने वाले प्रदर्शन के पीछे किसी एक व्यक्ति का दिमाग और रणनीति है तो वह रोहित शर्मा हैं। रोहित ने कप्तान के तौर पर, खिलाड़ी के रुप में और एक टीम प्लेयर की तरह बेजोड़ काम किया है।

 

Manoj Kumar | Published : Nov 18, 2023 12:10 PM IST / Updated: Nov 18 2023, 05:49 PM IST

Rohit Sharma Life Family Achievements. क्रिकेट विश्वकप 2023 में भारतीय टीम की सफलता में बार-बार रोहित शर्मा का जिक्र इसलिए किया जा रहा है क्योंकि रोहित फैंस की सोच से आगे निकलकर करिश्माई लीडरशिप दिखाई है। वे बल्ला लेकर मैदान पर आते हैं तो शुरू के 5-10 ओवर्स में ही विपक्षी टीम के हौंसले पस्त कर देते हैं। बाकी का काम टीम के दूसरे खिलाड़ी आसानी से कर डालते हैं। गेंदबाजी का समय आता है तो रोहित अपने 5 बॉलर्स से ऐसी गेंदबाजी कराते हैं, मानों उनकी टीम में 5 नहीं 10 गेंदबाज हैं। यह कुछ ऐसी बातें हैं जो रोहित शर्मा को बाकियों से अलग करती हैं। लेकिन एक दौर ऐसा भी रहा जब रोहित का परिवार उनके स्कूल की 275 रुपए फीस भी जमा करने में दिक्कत महसूस करता था। उस स्टेज से निकलकर आज के रोहित शर्मा तक एक लंबा सफर रहा है।

1999 में शुरू हुई रोहित शर्मा की जर्नी

रोहित शर्मा की क्रिकेट जर्नी 1999 से शुरू हुई जिसके बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। स्कूल के दिनों में रोहित शर्मा बतौर ऑफ स्पिनर स्कूल टीम में खेलते थे। वहां पर क्रिकेट कोच दिनेश लाड ने रोहित की प्रतिभा को पहचाना और उनके परिवार से रोहित के बारे में बात की। तब रोहित अपने अंकल और दादा दादी के साथ बोरिवली में रहते थे। जब रोहित के अंकल क्रिकेट कोच से मिलने आए तो उन्होंने कहा कि इनका एडमिशन स्वामी विवेकानंद स्कूल में कराएं। लेकिन रोहित जहां पढ़ते थे, वहां की फीस सिर्फ 30 रुपए थी जबकि स्वामी विवेकानंद स्कूल की फीस 275 रुपए थी। 

 

 

रोहित शर्माा के कोच दिनेश लाड बताते हैं तब उनका परिवार 275 रुपए देने की स्थिति में नहीं था और मैंने डायरेक्टर से रिक्वेस्ट की और रोहित को पहली बार आर्थिक कमजोर वर्ग की श्रेणी में बिना फीस के एडमिशन मिला। लाड कहते हैं कि वे जानते थे कि यह लड़का कमाल का है और क्रिकेट में इसका फ्यूचर ब्राइट है। इसके बाद रोहित ने घरेलू क्रिकेट खेला, अंडर-19 में खेले और बाद में सीनियर टीम में जगह बनाई। इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है।

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