फेंक दिया था मेडल, जड़े 6 गेंदों पर 6 छक्के... आसान नहीं 'युवराज' बनना

Yuvi Father Yograj Singh: युवराज सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के एक दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं। उनको इस मुकाम तक पहुंचने में उनके पिता युवराज सिंह का बहुत योगदान रहा है, जिन्होंने दिन रात अपने बेटे के लिए एक कर दिया।

 

Yuvraj Singh Birthday Special: हर एक सफल इंसान के पीछे एक किसी जिम्मेदार व्यक्ति का हाथ जरूर होता है। खेल के मैदान में भी ऐसे कई महान दिग्गज रहे हैं, जिन्होंने अपनी कामयाबी के पीछे किसी न किसी का हाथ अवश्य बताया है। भारतीय क्रिकेट का हीरा युवराज सिंह की कहानी कुछ ऐसा ही है। युवी आज 43 वर्ष के हो चुके हैं। उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में जो कुछ पाया है उसमें उनके पिता युगराज सिंह का बहुत बड़ा योगदान रहा है। युवराज सिंह के संघर्ष पूर्ण जीवन के पीछे उनके पिता की बहुत बड़ी भूमिका रही है। भले ही युवराज इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया, लेकिन उनके द्वारा किए गए कुछ बड़े का नाम है इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गए। अपने बेटे को बनाने में योगराज ने कड़ी मेहनत की और इसका खुलासा उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान भी किया था।

पिता के जिद ने विश्व क्रिकेट को दिया युवराज सिंह

युवराज के पिता योगराज भी भारत के लिए क्रिकेट खेल चुके हैं, उन्होंने ज्यादा योगदान नहीं दिया और दूरी बना ली। सर 1981 में मजबूर होकर युवी के पिता को क्रिकेट छोड़ना पड़ा। योगराज सिंह के लिए या बहुत बड़ा फल था और उन्होंने अपने दिमाग में इस समय ठान लिया कि मेरा नाम मेरा बेटा ही रौशन करेगा। एक इंटरव्यू के दौरान युवी के पिता ने बताया कि महज डेढ़ साल की उम्र में ही उन्होंने अपने बेटे को बैठ थमा दिया। उन्होंने कहा कि मेरी इस हरकत को देखकर लोग मुझे पागल भी कह रहे थे। लेकिन लोगों की बातों को दरकिनार कर उन्होंने जिद कर लिया कि उनके बेटे को एक बहुत बड़ा खिलाड़ी बनाना है।

Latest Videos

 

 

जब युवी के पिता ने फेंका था मेडल

एक बार युवराज ने स्केटिंग में मेडल जीता था। पिता से छुपकर रोलर स्केटिंग के लिए युवी अपना समय निकाल लेते थे। जब युवराज अपने पिता का पास मेडल लेकर गए तो उसे मेडल को देख योगराज काफी नाराज हो गए थे और उनका मेडल फेंक दिया। साथ ही, उन्होंने अपने बेटे को क्रिकेट के अलावा किसी चीज पर ध्यान नहीं देने की धमकी भी दे दी। पिता के द्वारा किए गए इस गुस्से से यूं भी निराश थे और उन्होंने कहा था, कि पिता के द्वारा उनकी मेहनत की सराहना नहीं की गई।

योगराज खुद बन गए बेटे के लिए कोच

युवराज सिंह ने बचपन से ही युवी के दिमाग में क्रिकेट का कीड़ा भर दिया और केवल 5 वर्ष की उम्र में उन्हें चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में क्रिकेट कोचिंग के लिए दाखिल करवा दिया। बचपन में टेनिस और स्केटिंग का शौक रखने वाले युवराज सिंह को जबरदस्ती उनके पिता ने क्रिकेट पर ध्यान देने को कहा। उन्हें एक महान क्रिकेटर बनने के लिए युवराज खुद कोच बन गए और अपने ही घर में एक पिच तैयार कर दिया, जहां पर वह अपने बेटे को खुद बोलिंग करके बैटिंग करने का अभ्यास करवाते थे। अपने बेटे को क्रिकेट सीखने के लिए उन्होंने अपने रिश्तेदारों से भी दूरी बना ली और आना-जाना काम कर दिया। पिता के त्याग और युवराज सिंह के मेहनत ने ही क्रिकेट को दुनिया का सबसे पहले सिक्सर किंग दिया, जिन्होंने 6 गेंद पर छह छक्के मार कर इतिहास बना दिया था।

यह भी पढ़ें:

Viral Video: क्या था सैंडपेपर विवाद? जिसने ऑस्ट्रेलिया के जख्मों को किया ताजा

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024: रोहित की कप्तानी खतरे में? क्या बुमराह देंगे झटका?

Share this article
click me!

Latest Videos

The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में तैयार हो रही डोम सिटी की पहली झलक आई सामने #Shorts
20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी
अब एयरपोर्ट पर लें सस्ती चाय और कॉफी का मजा, राघव चड्ढा ने संसद में उठाया था मुद्दा
बांग्लादेश ने भारत पर लगाया सबसे गंभीर आरोप, मोहम्मद यूनुस सरकार ने पार की सभी हदें । Bangladesh