पेरिस ओलंपिक में छाए अमन सहरावत: दादा बोले- पेरिस म्ह पोते नै गाड दया लठ

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने 57 किलोग्राम फ्री स्टाइल रेसलिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीता। अमन के दादा-दादी ने उनकी इस जीत पर भावुक प्रतिक्रिया दी और कहा कि उन्होंने अपने माता-पिता को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।

स्पोर्ट्स डेस्क: पेरिस ओलंपिक 2024 में शुक्रवार, 9 अगस्त के दिन भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने 57 किलोग्राम फ्री स्टाइल रेसलिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीत कर देश का नाम रोशन किया। उन्होंने इस प्रतियोगिता में प्यूर्टो रिको के डेरियन टोई क्रूज को 13-5 से हराया। हालांकि, इससे पहले अमन जापानी रेसलर से हारकर गोल्ड और सिल्वर की दौड़ से बाहर हो गए थे। लेकिन, उन्होंने देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता। इस पर अमन के दादा-दादी का क्या कहना है आइए हम आपको बताते हैं...

पोते की जीत से खुश हुए अमन के दादा-दादी

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दरअसल, भारतीय पहलवान अमन सहरावत के माता पिता का निधन कई वर्षों पहले हो गया था। उन्हें उनके दादा-दादी ने ही बड़ा किया है। ऐसे में अमन के दादा मांगेराम ने उनकी जीत पर कहा- पेरिस म्ह पोते नै गाड दया लठ। उन्होंने कहा कि हमारे परिवार में पहले भी बहुत पहलवान हुए, लेकिन अमन ने जितना नाम कमाया है उतना किसी ने नहीं कमाया। उन्होंने कांस्य पदक जीत कर अपने माता-पिता को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। वह उनके सपनों को पूरा कर रहे हैं। वहीं अमन सहरावत की दादी अणची अपने पोते की जीत पर भावुक हो गई और कहा कि 12 साल पहले अमन के माता-पिता की मौत हो गई थी। उसके बाद सभी परिजनों ने मिलकर अमन की परवरिश की। आज अमन में उन्हें अपने बेटे की छवि दिखाई देती है। उन्होंने बताया कि अमन के घर लौटने पर वह उन्हें खीर, चूरमा और हलवा बनाकर अपने हाथों से खिलाएंगी, क्योंकि उन्हें यह बहुत पसंद हैं।

गांव में बांटी गई मिठाइयां

अमन सहरावत के ब्रॉन्ज मेडल का मैच शुरू होने से पहले उनके बिरोहड़ गांव में एक बड़ी सी स्क्रीन लगाई गई। जहां पर सभी लोगों ने एक साथ मैच का लुत्फ उठाया और जैसे ही अमन ने यह मुकाबला अपने नाम किया वहां जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। लोगों ने हरियाणवी गानों पर खूब डांस किया और गांव के सभी लोगों को मिठाइयां भी बांटी गई। बता दें कि अमन सहरावत ने प्यूर्टो रिको के पहलवान को डेरियन टोई क्रूज 13-5 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है।

और पढ़ें- Paris Olympic 2024: 11 साल में हुए अनाथ, जानें अमन सहरावत का संघर्ष

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