भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने शुक्रवार पेरिस ओलंपिक 2024 के 57 किलोग्राम फ्रीस्टाइल रेसलिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीता। यह पेरिस ओलंपिक में भारत का सातवां मेडल है।
16 जुलाई 2003 को हरियाणा के झज्जर में जन्मे अमन को बचपन से ही बहुत संघर्ष करना पड़ा। दरअसल, 11 साल की उम्र में ही उनके माता-पिता का निधन हो गया था।
जब अमन सहरावत 11 साल के थे तो सबसे पहले उनकी मां कमलेश की हार्ट अटैक से और फिर 6 महीने बाद पिता की पत्नी के सदमे से मौत हो गई थी। इसके बाद अमन को पाई-पाई के लिए मोहताज होना पड़ा।
माता-पिता के देहांत के बाद अमन के सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया, क्योंकि उनकी एक छोटी बहन भी हैं। जिनकी पढ़ाई का खर्चा अमन के कंधों पर है।
अमन सहरावत की कुछ समय पहले ही रेलवे में नौकरी लगी। जिसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति थोड़ी ठीक हुई। वह लगातार 2 साल से नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल भी जीत रहे हैं।
अमन बचपन से ही पहलवान बनना चाहते थे, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण उन्हें पहले अपनी जिम्मेदारी निभाने पड़ी। फिर दिल्ली में कोच प्रवीण दहिया से ट्रेनिंग ली।
अमन ने 2021 में नेशनल चैंपियनशिप खिताब जीता। 2022 में U-23 एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। अप्रैल 2023 में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड और 2022 में ब्रॉन्ज मेडल जीता।
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने टोक्यो ओलंपिक के सिल्वर मेडलिस्ट रवि कुमार दहिया की जगह अमन सहरावत को चुना। वह पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले एकमात्र पुरुष पहलवान हैं।