पैरालंपिक 2024 में भारत का परचम: एक ही दिन में 4 मेडल

पेरिस पैरालंपिक में भारत ने शानदार शुरुआत करते हुए पहले ही दिन 4 पदक जीत लिए हैं। अवनी लेखारा ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा, तो वहीं मोना अग्रवाल ने कांस्य पदक अपने नाम किया। निशानेबाजी में भारत का दबदबा कायम रहा।

पेरिस: पैरालंपिक में अब तक के सबसे शानदार प्रदर्शन के साथ 25+ पदक जीतने की उम्मीद के साथ पेरिस पहुंचे भारतीय एथलीटों ने शुक्रवार को पदक तालिका में अपनी जगह बना ली। एक ही दिन में भारत ने कुल 4 पदक अपने नाम किए, जिसमें एक स्वर्ण पदक भी शामिल है। पेरिस ओलंपिक की तरह ही पैरा गेम्स में भी निशानेबाजों का दबदबा रहा और उन्होंने तीन पदक जीते। इसके अलावा एथलेटिक्स में भी एक पदक भारत के खाते में आया।

टोक्यो पैरालंपिक में 2 पदक जीतने वाली अवनी लेखारा ने इस बार भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (एसएच 1) स्पर्धा में 22 वर्षीय अवनी ने 249.7 अंक हासिल कर पहला स्थान हासिल किया। इसी के साथ उन्होंने टोक्यो में बनाया अपना ही 249.6 अंकों का पैरालंपिक रिकॉर्ड तोड़ दिया।

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इसी स्पर्धा में 37 वर्षीय मोना अग्रवाल ने कांस्य पदक जीता। उन्होंने 228.7 अंक हासिल कर पैरालंपिक में अपना पहला पदक जीता। इसी के साथ भारत ने पहली बार पैरालंपिक शूटिंग के एक ही वर्ग में 2 पदक जीतने का कारनामा किया। दक्षिण कोरिया की ली यून-री ने 246.8 अंकों के साथ रजत पदक जीता।

दुर्घटना में पैर गंवाने के बाद भी नहीं मानी हार

राजस्थान की 22 वर्षीय अवनी लेखारा जब 11 साल की थीं, तब जयपुर-धौलपुर हाईवे पर एक भयानक कार दुर्घटना का शिकार हो गई थीं। इस हादसे में उन्होंने कमर के नीचे का हिस्सा गंवा दिया था। हादसे के बाद टूट चुकी अवनी ने फिर किताबों का सहारा लिया। हादसे के 3 साल बाद उन्होंने शूटिंग की प्रैक्टिस शुरू की। एक ही साल में उन्होंने राष्ट्रीय पैरा पदक जीतकर सबको चौंका दिया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। टोक्यो पैरालंपिक में 1 स्वर्ण और 1 कांस्य, विश्व कप में 2 स्वर्ण और 1 रजत और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। इस बार खेलों से 5 महीने पहले ही उनकी पित्ताशय की पथरी का ऑपरेशन हुआ था।

 

लड़की होने पर ताने, 9 महीने की उम्र में पोलियो का शिकार

राजस्थान की मोना महज 9 महीने की उम्र में पोलियो का शिकार हो गई थीं। घर में तीसरी बेटी होने और पोलियो की वजह से मोना को घरवालों और रिश्तेदारों के तानों का सामना करना पड़ा। लेकिन मोना ने इन तानों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने खेलों में ही अपना करियर बनाने की ठान ली। शुरुआत में उन्होंने शॉटपुट, डिस्कस और भाला फेंक में हिस्सा लिया। इसके बाद वेटलिफ्टिंग में आईं और अपनी शादी के बाद 2017 में राजस्थान राज्य स्तरीय प्रतियोगिता जीती। 2021 में उनका रुझान शूटिंग की ओर हुआ। शुरुआत में पिस्टल स्पर्धा में हिस्सा लेने वाली मोना ने बाद में राइफल पर ध्यान केंद्रित किया। आर्थिक तंगी के बावजूद पति के सहयोग से 2022 में 4 लाख रुपये में राइफल खरीदी। 37 साल की मोना अब दो बच्चों की मां हैं।

 

क्या है एसएच 1 वर्ग?

अवनी और मोना ने एसएच 1 वर्ग में भाग लेकर पदक जीते हैं। एसएच 1 का मतलब है कि जो एथलीट अपने हाथ, कमर और पैरों में गति नहीं कर सकते या जिनके हाथ-पैर नहीं हैं, वे इस वर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हैं।

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