लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 'क्रांति' ने दिया था बिहार को ये बाहुबली नेता, दलितों को 'निजी सेना' करती थी टॉर्चर

1994 के बहुचर्चित IAS जी कृष्णैया हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन 27 अप्रैल को जेल से रिहा कर दिए गए। बिहार की बाहुबलियों में आनंद मोहन का नाम भी टॉप लिस्ट में शुमार है। पढ़िए बाहुबली की फैमिली की पूरी कहानी...

 

Contributor Asianet | Published : Apr 27, 2023 5:06 AM IST / Updated: Apr 27 2023, 10:42 AM IST
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पटना. 1994 के बहुचर्चित IAS जी कृष्णैया हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन 27 अप्रैल को जेल से रिहा कर दिए गए। बिहार की बाहुबलियों में आनंद मोहन का नाम भी टॉप लिस्ट में शुमार है। ये रिजर्वेशन के घुर विरोधी रहे। इनकी पत्नी लवली पांडे सांसद रहीं और अब बेटा विधायक है। 

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आनंद मोहन बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव से ताल्लुक रखते हैं। उनके दादा राम बहादुर सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे।

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1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति के आह्वान पर आनंद मोहन कॉलेज छोड़कर आंदोलन में कूद गए थे। वे इमरजेंसी के दौरान 2 साल जेल में भी रहे।

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आनंद मोहन जब महज 17 साल के थे, तब उन्होंने राजनीति में कदम रखा था। वे 1990 में जनता दल(JD) से माहिषी से MLA बने थे।

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कहा जाता है कि जब आनंद मोहन पहली बार MLA बने तब भी वे अपनी निजी सेना चलाते थे। वे आरक्षण के घुर विरोधी रहे हैं।

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आनंद मोहन की 5 बार सांसद रहे बाहुबली नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से लंबी दुश्मनी चली। हालांकि अब वे करीब हैं।

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1990 में जब सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण की सिफारिश मंडल कमिशन ने की, तब जनता दल ने समर्थन किया था। आनंद मोहन इससे नाराज हुए और 1993 में बिहार पीपुल्स पार्टी(BPP) का गठन किया।

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1999 में आनंद मोहन आरजेडी से गठबंधन छोड़कर भाजपा से हाथ मिलाया था। भाजपा NDA के तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के लिए समर्थन जुटाना चाहती थी, हालांकि फेल रही।

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1994 में गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या हो गई थी। उनके अंतिम संस्कार में आनंद मोहन भी शामिल हुए थे। तभी गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की कार ने उसे ओवरटेक किया था। इससे भड़की भीड़ ने उन्हें मार डाला था।

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आनंद मोहन को 2007 में मौत की सजा सुनाई गई थी। आनंद मोहन देश के पहले पूर्व सांसद और पूर्व विधायक रहे हैं, जिन्हें मौत की सजा मिली थी। 

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पटना हाईकोर्ट ने दिसंबर 2008 में मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।

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आनंद मोहन की पत्नी लवली पांडे ने 1994 में वैशाली से लोकसभा चुनाव जीता। लेकिन उसक बाद कांग्रेस, सपा और हम के टिकट पर चुनाव लड़ती रहीं और हारती रहीं।

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आनंद सिंह का बेटा चेतन आनंद शिवहर से RJD से विधायक हैं। उनकी शादी MBBS करके MD कर रहीं आयुषि से हो रही है।

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ये हैं आनंद मोहन की बेटी सुरभि और दामाद राजहंस सिंह। किसान परिवार से आने वाले राजहंस सिंह ने 2019 में यूपीएससी-सीएससी एग्जाम क्रैक किया था। इसके बाद वे रेलवे में जॉब करने लगे।

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