बिहार में बीते मात्र 4 दिनों में दो पुल गिर गए, जो वाकई में काफी शर्मनाक है। पहला पुल 18 जून को अररिया जिले सिकटी प्रखंड में बकरा नदी पर गिरा, जो उद्घाटन के पहले ही नदी में समा गई।
Bihar Bridge collapse history: बिहार का इतिहास अपने स्वर्णिम उपलब्धियों की वजह से जाना जाता है। जहां मगध की धरती पर चाणक्य से लेकर अशोका का जन्म हुआ। इस मगध की धरती पर महात्मा बुद्ध जैसे महान शख्स को ज्ञान की प्राप्ति हुई। इस पवित्र धरती पर नालंदा विश्वविद्यालय की छाप मौजूद है, जहां से पूरी दुनिया ने ज्ञान हासिल की। हालांकि, इन सब के बावजूद आज बिहार की स्थिति ऐसी हो गई है कि जिसकी वजह से इसकी गिनती देश के सबसे पिछड़े राज्यों में की जाती है। इन सब के पीछे एक चीज जिम्मेदार है और वो है भ्रष्टाचार। इस भ्रष्टाचार रूपी जहर ने पूरे सिस्टम को खोखला कर दिया है। इसका जीता-जागता सबूत बीते कई सालों से देखने को मिल रहा है, जब राज्य के अलग-अलग जिलों कस्बों में भ्रष्टाचारियों के बनाए गए पुल ताश के पत्तों की तरह ढह जा रहे हैं।
बिहार में बीते मात्र 4 दिनों में दो पुल गिर गए, जो वाकई में काफी शर्मनाक है। पहला पुल 18 जून को अररिया जिले सिकटी प्रखंड में बकरा नदी पर गिरा, जो उद्घाटन के पहले ही नदी में समा गई। इसके बाद कल शनिवार (21 जून) को सिवान के महाराजगंज अनुमंडल के पटेढ़ा और गरौली गांव के बीच गंडक नहर पर गिर गया। हालांकि, ये पुल 30 साल पुरानी थी, लेकिन पुल का निर्माण इस मकसद से किया जाता है कि वो कम से कम 100 साल तक टिके।
बिहार में बीते कई सालों में गिरे पुल
देश में 10 सालों में पुल गिरने वाले आंकड़े
देशभर में बीते 10 साल में पुल गिरने से 226 मौतें हो चुकी है।
साल पुल गिरे मौत
2013 45 53
2014 16 12
2015 22 24
2016 19 47
2017 10 10
2018 17 34
2019 23 26
2020 9 10
2021 8 5
2022 5 5
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