
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब सिर्फ़ राजनीतिक महायुद्ध ही नहीं, बल्कि तकनीकी सुधारों की नई मिसाल भी बनने जा रहा है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने बुधवार को बड़ा ऐलान किया—इस बार वोटिंग मशीन यानी EVM पर प्रत्याशियों के नाम और चुनाव चिन्ह के साथ उनकी कलर फोटो भी छपी होगी।
चुनावों में लंबे समय से एक बड़ी समस्या रही है हमनाम प्रत्याशी। कई बार एक ही नाम वाले कई उम्मीदवार मैदान में उतर जाते हैं, जिससे आम मतदाता कंफ्यूज़न में पड़ जाता है। गलत बटन दब जाने की घटनाएं अक्सर चुनाव परिणामों को प्रभावित करती रही हैं। चुनाव आयोग का मानना है कि अब यह समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।
भारत में पहली बार यह प्रयोग बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से शुरू होगा। 243 सीटों पर होने वाली इस चुनावी जंग में अब सिर्फ़ नाम या निशान नहीं, बल्कि चेहरा भी दांव पर होगा। आयोग का कहना है कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो आगे देशभर के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी इसी सिस्टम को अपनाया जाएगा।
फिलहाल चुनाव आयोग ने Special Intensive Revision (SIR) की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह वोटर लिस्ट का स्पेशल अपडेट है, जिसकी फाइनल लिस्ट 30 सितंबर को जारी होगी। इसके बाद किसी भी दिन बिहार चुनाव की तारीख़ों का ऐलान हो सकता है।
आयोग का साफ़ संदेश है कि अब वोटर चेहरा देखकर वोट डाल सकेगा। इसका मतलब है कि लोकतंत्र की प्रक्रिया न केवल पारदर्शी होगी बल्कि मतदाता का भरोसा भी और मजबूत होगा। माना जा रहा कि इस फैसले का असर बिहार की चुनावी राजनीति पर सीधा दिखेगा। छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए यह बदलाव चुनौती भी बन सकता है, क्योंकि अब मतदाता नाम के बजाय सीधे चेहरा पहचानकर वोट देगा। वहीं, बड़े दलों के चर्चित उम्मीदवारों को इसका सीधा फायदा मिल सकता है।
नतीजतन, बिहार की सियासी लड़ाई में अब एक नया मोड़ जुड़ चुका है। जनता सिर्फ़ नाम और निशान देखकर नहीं, बल्कि चेहरा देखकर तय करेगी कि अगली सरकार कौन बनाएगा।
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