
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आ जाने के साथ ही सियासी घमासान तेज हो चुका है। इस गर्मा-गर्मी में सबसे चर्चा का विषय है प्रशांत किशोर की नई पार्टी ‘जन सुराज’। चुनावी मैदान में यह पार्टी नए समीकरण बनाती दिख रही है। प्रशांत किशोर की पार्टी की एंट्री से बिहार की राजनीति में एनडीए, महागठबंधन और छोटी पार्टियां, एक-दूसरे के साथ नए ढंग से टकराने वाली हैं। इसी संदर्भ में हाल में एक सर्वे रिपोर्ट ने तमाम सवालों के जवाब दिए हैं कि ‘जन सुराज’ से सबसे बड़ा नुकसान किस गठबंधन को होगा और यह बिहार चुनाव के नतीजों को कैसे प्रभावित कर सकता है।
प्रशांत किशोर ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उनकी पार्टी ‘जन सुराज’ पूरे प्रदेश की 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव मैदान में होगी। उन्होंने खासतौर पर मुस्लिम मतदाताओं पर फोकस किया है और 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की योजना बनाई है। यह रणनीति महागठबंधन के मुस्लिम वोट बैंक को निशाना बना सकती है, जो सार्वजनिक चर्चा का विषय बनी हुई है।
प्रशांत किशोर ने विधानसभा चुनाव में 40 मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। बिहार के मुस्लिम मतदाता की संख्या और उनकी प्रभावशीलता को देखते हुए यह रणनीति महागठबंधन के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की मानी जा रही है। अगर जन सुराज इस वर्ग में अपना प्रभाव बढ़ाने में सफल हुई, तो महागठबंधन को बड़ा झटका लग सकता है।
पहले बिहार की राजनीति मुख्य तौर पर महागठबंधन और एनडीए के बीच सीमित थी। ‘जन सुराज’ की एंट्री से यह मुकाबला तीन-तरफा हो गया है। इसके चलते दोनों बड़े गठबंधन अपने क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों को फिर से परखने को मजबूर हैं। ‘जन सुराज’ के वोट डायवर्शन के कारण सीटों की संख्या पर गहरा प्रभाव पड़ना तय है।
सर्वे रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि ‘जन सुराज’ के आने से सबसे बड़ा नुकसान महागठबंधन को होगा अगर यह पार्टी बहुसंख्यक मुस्लिम वोटों को आकर्षित करती है। हालांकि, परिस्थितियां बदल सकती हैं यदि जन सुराज एनडीए के वोटनुमा क्षेत्रों में भी सेंध लगाती है। इस तरह, यह चुनाव बिहार में एक नई राजनीतिक जंग को जन्म देगा जहां पुरानी राजनीति के साथ-साथ नई पार्टियों की भूमिका निर्णायक हो
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