बिहार चुनाव 2025: प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ से किस गठबंधन को होगा भारी नुकसान? सर्वे में खुला राज

Published : Sep 15, 2025, 09:42 AM IST
Prashant Kishor

सार

बिहार चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ पार्टी ने राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं। सर्वे के अनुसार महागठबंधन को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है, जबकि एनडीए को फायदा मिलने की संभावना है।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आ जाने के साथ ही सियासी घमासान तेज हो चुका है। इस गर्मा-गर्मी में सबसे चर्चा का विषय है प्रशांत किशोर की नई पार्टी ‘जन सुराज’। चुनावी मैदान में यह पार्टी नए समीकरण बनाती दिख रही है। प्रशांत किशोर की पार्टी की एंट्री से बिहार की राजनीति में एनडीए, महागठबंधन और छोटी पार्टियां, एक-दूसरे के साथ नए ढंग से टकराने वाली हैं। इसी संदर्भ में हाल में एक सर्वे रिपोर्ट ने तमाम सवालों के जवाब दिए हैं कि ‘जन सुराज’ से सबसे बड़ा नुकसान किस गठबंधन को होगा और यह बिहार चुनाव के नतीजों को कैसे प्रभावित कर सकता है।

‘जन सुराज’ का चुनावी परिदृश्य

प्रशांत किशोर ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उनकी पार्टी ‘जन सुराज’ पूरे प्रदेश की 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव मैदान में होगी। उन्होंने खासतौर पर मुस्लिम मतदाताओं पर फोकस किया है और 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की योजना बनाई है। यह रणनीति महागठबंधन के मुस्लिम वोट बैंक को निशाना बना सकती है, जो सार्वजनिक चर्चा का विषय बनी हुई है।

सर्वे क्या कहता है?

  • अगर जन सुराज को लगभग 10% वोट मिलते हैं, तो यह महागठबंधन के वोट बैंक से करीब 5% वोट कटा सकता है। इसके चलते महागठबंधन का वोट शेयर घटकर 34% रह जाएगा, जबकि एनडीए को फायदा मिलेगा और उसका वोट प्रतिशत बढ़कर 42% तक पहुंच जाएगा।
  • दूसरी तरफ, यदि जन सुराज एनडीए के वोटों में 5% की कटौती करती है, तो महागठबंधन को फायदा पहुंच सकता है। महागठबंधन का वोट शेयर 39% तक बढ़ सकता है और एनडीए का घटकर 37% रह सकता है।
  • जब जन सुराज दोनों गठबंधनों से बराबर-बराबर वोट काटती है और साथ ही छोटे दलों से भी लगभग 5% वोट आकर्षित करती है, तो एनडीए को कुल मिला कर फायदा होता दिख रहा है और वह फिर से सत्ता में आ सकता है।

मुस्लिम वोट पर ‘जन सुराज’ की दांवबाजी

प्रशांत किशोर ने विधानसभा चुनाव में 40 मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। बिहार के मुस्लिम मतदाता की संख्या और उनकी प्रभावशीलता को देखते हुए यह रणनीति महागठबंधन के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की मानी जा रही है। अगर जन सुराज इस वर्ग में अपना प्रभाव बढ़ाने में सफल हुई, तो महागठबंधन को बड़ा झटका लग सकता है।

राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव

पहले बिहार की राजनीति मुख्य तौर पर महागठबंधन और एनडीए के बीच सीमित थी। ‘जन सुराज’ की एंट्री से यह मुकाबला तीन-तरफा हो गया है। इसके चलते दोनों बड़े गठबंधन अपने क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों को फिर से परखने को मजबूर हैं। ‘जन सुराज’ के वोट डायवर्शन के कारण सीटों की संख्या पर गहरा प्रभाव पड़ना तय है।

सर्वे रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि ‘जन सुराज’ के आने से सबसे बड़ा नुकसान महागठबंधन को होगा अगर यह पार्टी बहुसंख्यक मुस्लिम वोटों को आकर्षित करती है। हालांकि, परिस्थितियां बदल सकती हैं यदि जन सुराज एनडीए के वोटनुमा क्षेत्रों में भी सेंध लगाती है। इस तरह, यह चुनाव बिहार में एक नई राजनीतिक जंग को जन्म देगा जहां पुरानी राजनीति के साथ-साथ नई पार्टियों की भूमिका निर्णायक हो

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