
बिहार की राजनीति आज एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। मतदान खत्म होने के बाद अब रुझानों का दौर तेज हो गया है, और शुरुआती संकेत बताते हैं कि इस बार खेल सिर्फ पारंपरिक दलों के बीच नहीं फंसने वाला। जनता के वोट यह तय करने वाले हैं कि अगले पांच साल बिहार की बागडोर किसके हाथों में होगी, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा एक नए राजनीतिक प्रयोग की हो रही है, जिसने चुनावी समीकरणों में अप्रत्याशित हलचल पैदा कर दी है।
पहली बार चुनाव मैदान में उतरी प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी शुरुआती रुझानों में बड़ी छलांग लगाती दिखाई दे रही है। पार्टी के उम्मीदवार अब तक 5 सीटों पर आगे चल रहे हैं। चनपटिया सीट पर मनीष कश्यप बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि करगहर से भोजपुरी गायक रितेश पांडे भी आगे चल रहे हैं। पोस्टल बैलेट की शुरुआती गिनती में भी जनसुराज पार्टी को बढ़त मिलती दिखी, जिससे मुकाबला और रोमांचक हो गया है।
कई विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के उम्मीदवारों ने स्थापित दलों को कड़ी चुनौती देते हुए चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है। इससे संकेत मिलता है कि जनसुराज पार्टी सिर्फ चर्चा ही नहीं, बल्कि जमीन पर भी प्रभाव डाल रही है।
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इस चुनाव की खास बात यह रही कि जनसुराज पार्टी ने पूरे बिहार के चुनावी माहौल को नई दिशा दी है। प्रशांत किशोर ने पिछले कुछ वर्षों में ‘जनसुराज यात्रा’ के जरिये गांव-गांव पहुंचकर शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, खेती, प्रशासन और स्थानीय मुद्दों पर गहराई से काम किया। उनका यह मॉडल अब प्रत्यक्ष रूप से चुनावी अखाड़े में उतरा है, और नतीजतन जनता के बीच एक नया विश्वास उभरता दिख रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक भी मान रहे हैं कि चुनाव 2025 बिहार की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत कर सकता है, जहां परंपरागत राजनीति के अलावा एक वैकल्पिक नेतृत्व भी अपनी जगह बना सकता है।
जनसुराज पार्टी ने इस बार 238 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। यह साफ संकेत है कि पार्टी किसी सीमित प्रयोग तक सिमटने के मूड में नहीं है। पार्टी के उम्मीदवारों में शिक्षाविदों, डॉक्टरों, पूर्व नौकरशाहों, वकीलों, कलाकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे विविध क्षेत्रों के चेहरे शामिल हैं। प्रशांत किशोर खुद चुनाव नहीं लड़ रहे, लेकिन एक ‘नई राजनीति’ की अवधारणा को स्थापित करने के लिए वे राज्य भर में सक्रिय रहे।
प्रशांत किशोर ने कई मौकों पर स्पष्ट कहा है कि इस चुनाव में उनकी पार्टी का प्रदर्शन निर्णायक होगा। उनके शब्दों में, “जनसुराज या तो बहुत बड़ी ताकत बनकर उभरेगी या पूरी तरह नकार दी जाएगी।”
इस स्पष्ट और जोखिमभरी राजनीतिक लाइन ने जनता और विश्लेषकों दोनों की जिज्ञासा बढ़ा दी है। जैसे-जैसे गिनती आगे बढ़ेगी, यह देखना दिलचस्प होगा कि PK का यह दावा कितना सटीक साबित होता है।
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