3 दिन के बाद फिर से कोसी-बागमती नदी ने बढ़ाई टेंशन, स्थानीय लोगों को मिला अलर्ट, जानें कब कितना रहा पानी का स्तर?

बिहार में हर साल लोग बाढ़ की समस्या से जूझते हैं। खासकर उत्तर बिहार का 75 फीसदी हिस्सा बाढ़ की वजह से खासा परेशान रहता है। इसी बीच खगड़िया में कोसी और बागमती का जलस्तर में बढ़ोतरी देखी गई है।

Bihar flood news: बिहार में हर साल लोग बाढ़ की समस्या से जूझते हैं। खासकर उत्तर बिहार का 75 फीसदी हिस्सा बाढ़ की वजह से खासा परेशान रहता है। इसी बीच खगड़िया में कोसी और बागमती का जलस्तर में बढ़ोतरी देखी गई है, जिसे बाढ़ की आशंका दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इसको लेकर बिहार सरकार ने बाढ़ के खतरे को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया। इस तरह से स्थानीय लोगों की बीच टेंशन का माहौल है। कुछ दिन पहले 23 से 25 जून तक खगड़िया जिले में कोसी (Kosi River) और बागमती (Bagmati River) में जलस्तर घट रहे थे। हालांकि, आज 26 जून को एक बार फिर से दोनों नदियों में तेजी से जलस्तर बढ़ रहा है।

बिहार के उत्तरी इलाके में स्थित खगड़िया जिले में बीते तीन दिन में कोसी और बागमती नदी के जलस्तर में इजाफा देखने को मिला है। इस दौरान मौसम विभाग ने बारिश का भी अलर्ट जारी कर दिया है, जिससे बाढ़ आने की आशंका बनी हुई है। Samastipur Flood Control Room की रिपोर्ट के मुताबिक 26 जून को सुबह 12 बजे कोसी बराज से 1,41,170 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है। इसके अलावा बिहार से सटा हुए देश नेपाल में 25 जून को मूसलाधार 124 मिलीमीटर बारिश हुई। इस वजह से भी खगड़िया स्थित कोसी के जलस्तर में और अधिक बढ़ोत्तरी देखी गई।

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कोसी और बागमती का जलस्तर

बीते 4 दिनों में कोसी का जलस्तर

23 जून 33.08 मीटर घटा

24 जून 32.42 मीटर घटा

25 जून 32.26 मीटर घटा

26 जून 32.65 मीटर घटा

बीते 4 दिनों में बागमती का जलस्तर

23 जून 34.75 मीटर घटा

24 जून 34.06 मीटर घटा

25 जून 33.90 मीटर घटा

26 जून 34.26 मीटर बढ़ा

कितना है बिहार में बाढ़ ग्रस्त हिस्सा?

प्रभात खबर की रिपोर्ट के साल 2023 के रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के कुल 94 हजार 163 स्क्वायर किलोमीटर हिस्से में से 26 हजार 073 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में बाढ़ आता है। इसमें दरभंगा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण और खगड़िया के सर्वाधिक बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र शामिल हैं। इसका असर किसान प्रधान राज्य बिहार में भी देखने को मिलता है, जहां 2461 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र मध्यम गति के बाढ़ जोन में है। इस इलाके में 14 से 53 फीसदी धान की खेती को नुकसान होता है।

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