
Bihar Land Survey: बिहार में भूमि सर्वे से जुड़ी बड़ी खबर आ रही है, जो जमीन मालिकों को राहत देने वाली है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया को रैयतों (जमीन मालिकों) के लिए आसान बनाने की दिशा में अहम निर्णय लिया है। अब भूमि स्वघोषणा के साथ जमीन से जुड़े सभी कागजात संलग्न करना अनिवार्य नहीं होगा। रैयतों को केवल उपलब्ध कागजात जमा करने होंगे, बाकी दस्तावेजों की व्यवस्था वे समय रहते बाद में भी कर सकते हैं। बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने भूमि सर्वेक्षण की समीक्षा बैठक के दौरान यह घोषणा की।
इन जगहों पर प्रगति सबसे धीमी, मंत्री ने जताई नाराजगी
31 मार्च 2024 तक कुल 1,15,00,916 स्वघोषणाएं प्राप्त हो चुकी हैं। इनमें ऑफलाइन शिविरों में जमा किए गए फॉर्म और ऑनलाइन पोर्टल पर सबमिट किए गए फॉर्म भी शामिल हैं। कुछ जिलों में स्वघोषणा की संख्या बहुत कम पाई गई, इसको लेकर मंत्री ने अधिकारियों को फटकार लगाई।
15 दिन में सुधार नहीं तो होगी कार्रवाई
सबसे खराब प्रदर्शन वाले अंचलों में पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया, पिपरासी, मधुबनी, ठकराहा, भितहा अंचल और पूर्वी चंपारण के पिपराकोठी, तुरकौलिया, बनकटवा, छौड़ादानो, रक्सौल अंचल हैं। उदाहरण के तौर पर बेतिया सदर में सिर्फ 187 स्वघोषणाएं प्राप्त हुईं। पिपरासी अंचल में मात्र 524 स्वघोषणाएं जमा हुई हैं। मंत्री ने चेतावनी दी कि 15 दिनों में सुधार नहीं होने पर खराब प्रदर्शन वाले शिविरों के कर्मियों को हटाया जाएगा।
किन जिलों में सबसे ज्यादा स्वघोषणाएं जमा हुईं?
अररिया सदर अंचल में 136777 पहुंच गई है और दरभंगा के बिरौल शिविर में कुल 114067 स्वघोषणा जमा हुई हैं। इसके अलावा दरभंगा के बहेड़ी, अररिया का जौकी हाट, कुशेश्वर स्थान, फारबिसगंज और पलासी में भी बड़ी संख्या में स्वघोषणा जमा की गई है। समस्तीपुर के कल्याणपुर और औरंगाबाद के नबीनगर सर्वे शिविर में भी स्थिति संतोषजनक पाई गई।
भूमि सर्वेक्षण में ये तकनीकी समस्याएं
सर्वेक्षण पोर्टल पर रैयतों को सर्वर डाउन की शिकायतें हो रही हैं। यह डिजिटल भूमि रिकॉर्डिंग प्रक्रिया में दिक्कत पैदा कर रहा है। आईटी टीम ने बताया कि 9 प्रमंडलों का डेटा अलग करने में समय लग रहा था। अब डाटा तेजी से आ रहा है और प्रक्रिया सुचारू हो रही है। आईटी टीम ने मंत्री संजय सरावगी को ऑनलाइन स्वघोषणा जमा करने की प्रक्रिया डेमो के जरिए दिखाया।
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