गर्भाशय कैंसर से डरे नहीं, इससे निपटने को बिहार सरकार ने किया ये बड़ा ऐलान, जानिए पूरी डिटेल

Published : Mar 28, 2025, 05:39 PM IST
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सार

Bihar News: बिहार में गर्भाशय (Cervical) कैंसर के बढ़ते मामलों पर राज्य स्वास्थ्य समिति ने चिंता जताई है। अब 35 सदर अस्पतालों और एक मेडिकल कॉलेज में लगाए जाएंगे 

Bihar News: बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश में कैंसर तेजी से फैल रहा है और यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। कैंसर के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर) महिलाओं में एक प्रमुख समस्या बन चुका है। बिहार में इस कैंसर के मामलों में बढ़ोत्तरी को देखते हुए राज्य स्वास्थ्य समिति ने 35 सदर अस्पतालों और एक चिकित्सा महाविद्यालय में अत्याधुनिक कॉल्पोस्कोपी मशीन स्थापित करने का निर्णय लिया है।

राज्य स्वास्थ्य समिति ने सभी सिविल सर्जन को लिखा पत्र

राज्य स्वास्थ्य समिति ने बताया कि दुनिया में जितने सर्वाइकल कैंसर के मामले हैं, उनमें से हर पांचवां मामला भारत में होता है। बिहार में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर तेजी से बढ़ रहा है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। बिहार सरकार ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए राज्य के 35 सदर अस्पतालों और 1 सरकारी मेडिकल कॉलेज में कॉल्पोस्कोपी मशीनें लगाने का फैसला किया है। ये मशीनें महिलाओं की प्रारंभिक जांच के लिए उपयोग में लाई जाएंगी, ताकि समय रहते कैंसर का पता लगाया जा सके। समिति के कार्यपालक निदेशक सहर्ष भगत ने इस सिलसिले में सभी सिविल सर्जन को पत्र भेजा है। बीएमएसआईसीएल को मशीन के आपूर्ति की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

किन अस्पतालों में होगी आपूर्ति?

राज्य सरकार ने अररिया, अरवल, बांका, औरंगाबाद, बेगूसराय, भागलपुर, बक्सर, गया, गोपालगंज, जहानाबाद, जमुई, कैमूर, कटिहार, खगड़िया, किशनगंज, लखीसराय, मधेपुरा, मधुबनी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा, पटना सिटी, पूर्वी चंपारण (मोतिहारी), रोहतास, समस्तीपुर, सारण, शेखपुरा, शिवहर, सीतामढ़ी, सिवान, सुपौल, वैशाली, पूर्णिया और सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय, पूर्णिया में इन मशीनों की आपूर्ति करने का निर्णय लिया है।

कॉल्पोस्कोपी मशीन: कैसे करेगी मदद?

कॉल्पोस्कोपी एक मेडिकल प्रक्रिया है, जिसमें डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा की सूक्ष्म जांच कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में विशेष प्रकार के माइक्रोस्कोप का उपयोग किया जाता है, जिससे कैंसर की प्रारंभिक अवस्था में पहचान संभव हो जाती है। यह प्रक्रिया पूरी तह दर्दरहित और सेफ होती है। जिसके नतीजे बहुत ही जल्दी आते हैं। जिसकी वजह से मरीजों का समय पर उपचार संभव हो सकता है।

 

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