
Bihar Cartridge Smuggling: बिहार में अपराध और अवैध हथियारों का कनेक्शन एक बार फिर सामने आ गया है। 4500 से अधिक कारतूसों की बरामदगी के बाद पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई हैं। इस मामले ने उस वक्त और सनसनी फैला दी जब जांच में 'अंकल जी' और 'पापा जी' जैसे कोडनेम सामने आए, जिन्हें कारतूस तस्करी नेटवर्क का अहम हिस्सा माना जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो यह कारतूस बख्तियारपुर, नालंदा, शेखपुरा और कैमूर जैसे क्षेत्रों में पहुंचाए जाने थे। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या इनका इस्तेमाल बिहार विधानसभा चुनावों में हिंसा फैलाने या फिर अपराधियों/माओवादियों को हथियार पहुंचाने के लिए किया जाना था?
यह कोई पहली घटना नहीं है। 2023 में भी नालंदा पुलिस और STF ने 1000 से अधिक कारतूस पकड़े थे। इसके अलावा गढ़पर मोहल्ले में दो हजार कारतूस मिले थे। इस बार नालंदा के कुख्यात गिरोह का नाम फिर सामने आ रहा है, जो पहले भी कानपुर से अवैध हथियारों की तस्करी में पकड़ा जा चुका है।
जांच में जो सबसे रहस्यमयी जानकारी सामने आई है वो है 'अंकल जी' और 'पापा जी' जैसे कोड वर्ड्स का इस्तेमाल। इन कोड्स से संभवतः सप्लायर और बड़े सरगनाओं को संबोधित किया जाता है ताकि नाम उजागर न हो। बिहार पुलिस ने अब उत्तर प्रदेश पुलिस से सहयोग मांगा है ताकि गिरोह की जड़ें खोजी जा सकें।
पुलिस ने मुख्य आरोपी कुमार अभिजीत और उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया है, जो पहले भी आपराधिक मामलों में जेल जा चुके हैं। इनके साथ यूपी के औरैया निवासी शत्रुघ्न को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। जल्द ही पुलिस इनसे रिमांड पर पूछताछ करेगी जिससे 'पापा जी' और 'अंकल जी' की असल पहचान सामने आ सकती है।
बिहार पुलिस ने इस मामले की गहराई को देखते हुए ATS और NIA जैसी केंद्रीय एजेंसियों की मदद लेने की तैयारी की है। जांच अब केवल तस्करी तक सीमित नहीं, बल्कि यह देखने की कोशिश है कि क्या देश के अंदर कोई बड़ा आतंकी या आपराधिक मॉड्यूल तो नहीं बन रहा?
4500 कारतूसों की बरामदगी कोई छोटी बात नहीं। इस केस ने एक बार फिर बिहार में अवैध हथियारों की तस्करी, चुनावी हिंसा की साजिश और पुलिस तंत्र की चुनौती को सामने रखा है। अब देखना होगा कि 'पापा जी' और 'अंकल जी' जैसे कोडवर्ड्स के पीछे कौन सा गैंग लीडर या राजनीतिक कनेक्शन छिपा है।
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