बिहारशरीफ विधानसभा चुनाव 2025: बीजेपी ने दोहराई जीत की हैट्रिक, जीते सुजीत कुमार

Published : Oct 24, 2025, 08:20 AM ISTUpdated : Nov 14, 2025, 05:51 PM IST
Bihar Sharif Assembly constituency

सार

2025 में नालंदा जिले की बिहारशरीफ विधानसभा सीट पर भाजपा के सुजीत कुमार ने जीत हासिल की। ​​लगातार दूसरी बार जनता ने कमल के निशान पर अपना विश्वास जताया और सुजीत कुमार को अपना विधायक चुना।

Bihar Sharif Assembly Election 2025: बिहार के नालंदा जिले की बिहारशरीफ विधानसभा सीट पर सुजीत कुमार ने जीत हासिल की। लगातार 2025 में बीजेपी ने इस सीट पर अपना कमल खिलाया है और जनता ने एक बार फिर कमल छाप पर वोट देकर अपना नेता सुजीत कुमार को चुना है। 

बिहारशरीफ का चुनावी इतिहास-कौन रहा मजबूत?

बिहारशरीफ विधानसभा का पहला चुनाव 1967 में हुआ था, जब CPI को जीत मिली। 1969 में भी CPI ने कब्जा जमाया, लेकिन 1972 में जनसंघ ने बाजी मार ली। इसके बाद 1980 तक CPI ने वापसी की, लेकिन यह उनकी अंतिम जीत रही। इसके बाद से यहां का समीकरण बदल गया और अब लगातार डॉ. सुनील कुमार का दबदबा है।

2010 का चुनाव-जेडीयू के टिकट से पहली जीत

2010 में जेडीयू उम्मीदवार डॉ. सुनील कुमार ने RJD की आफरीन सुल्ताना को 23,712 वोटों से हराकर पहली बार जीत दर्ज की।

  • डॉ. सुनील कुमार (JDU)-77,880 वोट
  • आफरीन सुल्ताना (RJD)-54,168 वोट

2015 का चुनाव-बीजेपी टिकट पर कांटे की टक्कर

2015 में डॉ. सुनील ने पार्टी बदलकर BJP से चुनाव लड़ा और JDU के मोहम्मद असगर शमीम को हराया। यह जीत बेहद नजदीकी थी।

  • डॉ. सुनील कुमार (BJP)-76,201 वोट
  • मोहम्मद असगर शमीम (JDU) -73,861 वोट
  • जीत का अंतर-सिर्फ 2,340 वोट

2020 का चुनाव -तीसरी बार जीत की हैट्रिक

2020 में फिर वही मुकाबला गर्म हुआ। इस बार BJP के डॉ. सुनील कुमार और RJD के सुनील कुमार आमने-सामने थे।

  • डॉ. सुनील कुमार (BJP)-81,888 वोट
  • सुनील कुमार (RJD) -66,786 वोट
  • जीत का अंतर- 15,102 वोट

नोट: यह जीत उनकी लगातार तीसरी जीत थी, जिसने उन्हें “बिहारशरीफ का अजेय किला” बना दिया।

नोट: बीजेपी विधायक डा. सुनील कुमार ग्रेजुएशन डिग्रीधारी है। उन पर सात आपराधिक केस दर्ज हैं। उनकी कुल चल-अचल संपत्ति 11.35 करोड़ रुपए है और उन पर कोई देनदारी नहीं है।

सामाजिक समीकरण-किसका पलड़ा भारी?

बिहारशरीफ की जनसंख्या 4,35,814 है, जिसमें 67% शहरी और 33% ग्रामीण आबादी है। यहां कोरी जाति का प्रभाव ज्यादा माना जाता है। डॉ. सुनील कुमार का स्थानीय मुद्दों पर पकड़, जातीय समीकरण और विकास कार्यों पर ध्यान उनकी जीत का मुख्य कारण रहा।

2025 का चुनाव-क्या किला टूटेगा या और मजबूत होगा?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है- क्या 2025 में भी डॉ. सुनील कुमार का दबदबा कायम रहेगा, या विपक्ष कोई नई रणनीति बनाकर उनका किला हिला पाएगा? यही सस्पेंस इस बार के चुनाव को और रोमांचक बना देता है।

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