बिक्रम विधानसभा चुनाव 2025: सिद्धार्थ सौरव लगातार दूसरी बार जीते

Published : Oct 24, 2025, 07:50 AM ISTUpdated : Nov 14, 2025, 05:31 PM IST
Bikram Assembly constituency

सार

बिक्रम विधानसभा सीट पर कांग्रेस के सिद्धार्थ सौरव ने 2015 व 2020 में लगातार जीत दर्ज की। 2020 में उनकी जीत का अंतर 35,460 वोट था। इससे पहले 2010 में यह सीट BJP के अनिल कुमार ने जीती थी, जो क्षेत्र के बदलते राजनीतिक समीकरण को दर्शाता है।

Bikram Assembly Election 2025: बिक्रम विधानसभा (Bikram Vidhan Sabha) सीट पर एक बार फिर बीजेपी ने अपना परचम लहराया है। लगातार दूसरी बार विक्रम की जनता ने सिद्धार्थ सौरव को 1 लाख से ज्यादा वोट देकर अपना नेता चुना है।

2020 बिक्रम विधानसभा चुनाव: सिद्धार्थ सौरव की शानदार जीत

2020 में बिक्रम सीट पर चुनाव काफी रोमांचक रहा।

रिजल्ट

  • सिद्धार्थ सौरव (INC)- 86,177 वोट
  • अनिल कुमार (IND)- 50,717 वोट
  • अतुल कुमार (BJP)- 14,439 वोट
  • नागेंद्र कुमार (IND)- 11,223 वोट

खास बात: सिद्धार्थ सौरव ने स्वतंत्र उम्मीदवार अनिल कुमार को 35,460 वोटों के बड़े अंतर से हराया। कुल मतदान प्रतिशत 58.57% रहा। यह जीत सिद्धार्थ के राजनीतिक करियर में मील का पत्थर साबित हुई और INC के लिए नई उम्मीद लेकर आई।

नोट: 12वीं पास कांग्रेसी नेता सिद्धार्थ सौरव पर 6 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उनकी कुल संपत्ति 3.58 करोड़ रुपए हैं और उन पर कोई लायबिलिटी नहीं है।

2015 के चुनाव: महागठबंधन की ताकत

2015 में बिक्रम विधानसभा चुनाव में भी सिद्धार्थ सौरव ने जीत हासिल की।

परिणाम:

  • सिद्धार्थ (INC)- 94,088 वोट
  • अनिल कुमार (BJP)- 49,777 वोट

नोट: इस चुनाव में जीत का अंतर 44,311 वोट रहा। महागठबंधन (INC + RJD + JDU) की ताकत ने सिद्धार्थ की जीत सुनिश्चित की और बिक्रम सीट को महागठबंधन के लिए सुरक्षित बनाकर रखा।

2010 का चुनाव: BJP की मजबूत वापसी

2010 में चुनावी परिदृश्य पूरी तरह से अलग था।

परिणाम:

  • अनिल कुमार (BJP)- 38,965 वोट
  • सिद्धार्थ (LJP/Congress)- 36,613 वोट

नोट: यह जीत BJP के बढ़ते प्रभाव का संकेत थी। जीत का अंतर केवल 2,352 वोट था। कुल मतदान प्रतिशत 61.65% रहा।

बिक्रम विधानसभा: क्यों है यह सीट खास?

  • बिक्रम सीट पटना जिले की राजनीतिक रूप से संवेदनशील सीट है।
  • 2010, 2015 और 2020 में इस सीट पर तीन प्रमुख दलों ने जीत हासिल की है।
  • इस सीट पर जातीय समीकरण और मतदाता भागीदारी का बहुत महत्व है।
  • लगातार 50% से अधिक वोटिंग के रिकॉर्ड से यह साबित होता है कि वोटर काफी सक्रिय हैं।

2025 के चुनाव की चुनौती

2025 में सिद्धार्थ सौरव के सामने चुनौती यह है कि वे अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखेंगे या BJP और अन्य उम्मीदवारों के सामने हार का सामना करेंगे। चुनावी समीकरण, उम्मीदवारों की लोकप्रियता और वोटिंग प्रतिशत इस बार भी निर्णायक साबित होंगे।

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