
पटनाः बिहार की सियासत में मंगलवार की शाम बीजेपी की पहली उम्मीदवार सूची जारी होते ही बड़ा राजनीतिक भूचाल आ गया। एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर पहले से मची खींचतान के बीच बीजेपी ने 71 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। लेकिन इस सूची में सबसे ज़्यादा चर्चा में हैं पटना की चार सीटें, जहाँ पार्टी ने अप्रत्याशित फेरबदल करते हुए कई दिग्गजों के टिकट काट दिए हैं।
सबसे बड़ा झटका लगा है पटना साहिब विधानसभा सीट से, जहाँ पार्टी ने सात बार के विधायक और मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव का टिकट काट दिया है। उनकी जगह पार्टी ने रत्नेश कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी के भीतर यह फैसला “जनरेशन शिफ्ट” के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
नंदकिशोर यादव बीजेपी के उन नेताओं में से रहे हैं जिन्होंने संगठन से लेकर सरकार तक पार्टी को मजबूत किया। लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें आराम देने का फैसला किया है। सूत्र बताते हैं कि पटना साहिब सीट पर नए सामाजिक समीकरण और युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने की रणनीति के तहत यह बदलाव किया गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, रत्नेश कुशवाहा का नाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी दोनों की सहमति से तय हुआ है। रत्नेश कुशवाहा सामाजिक रूप से कुशवाहा और ओबीसी वोट बैंक को साधने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
दानापुर सीट पर बीजेपी ने मौजूदा विधायक के खिलाफ चुनाव में अपने पुराने दिग्गज रामकृपाल यादव को उतारा है। यह वही सीट है जहाँ कभी रीतलाल यादव की पकड़ अपराजेय मानी जाती थी। लेकिन रामकृपाल यादव 2014 से ही इस इलाके में लगातार काम करते आ रहे हैं और अब वे बीजेपी की उम्मीद के केंद्र हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, यह सीट इस बार सबसे हाई-वोल्टेज कांटेस्ट में शामिल होगी। एक तरफ लालू यादव के करीबी रहे रीतलाल, दूसरी तरफ लालू के पूर्व साथी रामकृपाल यादव, यानि मुकाबला दिलचस्प रहेगा। बता दें कि 2020 के चुनाव में यहां से बीजेपी के टिकट पर आशा देवी ने चुनाव लड़ा था।
विक्रम सीट पर बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है। पार्टी ने जहां 2020 में अतुल कुमार को टिकट दिया था, वहीं इस बार एक दिन पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए सिद्धार्थ सौरव को सीधे टिकट दे दिया है। सिद्धार्थ फिलहाल इसी सीट से मौजूदा विधायक हैं और अपने क्षेत्र में मजबूत जनाधार रखते हैं। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, यह निर्णय युवा और ऊर्जावान चेहरों को आगे लाने की नीति के तहत लिया गया है। पार्टी चाहती है कि बिहार के मध्य वर्ग और शहरी मतदाता को नए चेहरों से जोड़ा जाए।
कुम्हरार सीट से लंबे समय से विधायक रहे अरुण कुमार सिन्हा ने इस बार सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली थी। उनके हटने के बाद पार्टी ने संजय गुप्ता को टिकट दिया है। संजय गुप्ता संगठन से जुड़े रहे हैं और पटना के व्यवसायिक तबके में उनकी मजबूत पकड़ है। हालांकि स्थानीय समीकरणों के लिहाज से यह सीट पार्टी के लिए आसान नहीं मानी जा रही। अरुण सिन्हा के पारंपरिक वोट बैंक को ट्रांसफर कर पाना संजय गुप्ता के लिए चुनौती होगी।
पटना की बाकी दो सीटों बांकीपुर और दीघा पर पार्टी ने वर्तमान विधायकों नितिन नवीन और संजीव चौरसिया पर भरोसा बनाए रखा है। नितिन नवीन मंत्रीमंडल के प्रभावशाली चेहरों में गिने जाते हैं और उनका प्रदर्शन पार्टी नेतृत्व को संतोषजनक लगा। बीजेपी सूत्रों के अनुसार, यह फेरबदल “युवाओं और जातीय संतुलन” पर आधारित है। पार्टी चाहती है कि 2025 के चुनाव में ‘क्लीन फेस और फाइटिंग कैंडिडेट्स’ के साथ मैदान में उतरा जाए।
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