
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आते ही सीट बंटवारे को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों खेमों में सरगर्मी बढ़ गई है। जहां कांग्रेस, वामदल और वीआईपी, आरजेडी से ज्यादा हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं, वहीं एनडीए में भी जेडीयू-बीजेपी के साथ छोटे दलों के बीच पेंच फंसा हुआ है। इसी बीच लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सीट शेयरिंग पर ऐसा बयान दिया है जिसने पूरे समीकरण को पेचीदा बना दिया है।
चिराग पासवान ने साफ शब्दों में कहा है कि सीटों की संख्या से ज्यादा मायने उनकी क्वालिटी रखती है। वे ऐसी सीटें चाहते हैं, जहां से सौ प्रतिशत जीत सुनिश्चित हो। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 का हवाला देते हुए याद दिलाया कि उनकी पार्टी ने सभी पांच सीटों पर जीत हासिल की थी और 100% स्ट्राइक रेट कायम किया था।
चिराग ने कहा, “मेरे लिए दो सीटें ज्यादा या कम होना मायने नहीं रखता, लेकिन मैं ऐसी सीटें चाहता हूं जिन पर 100 फीसदी जीत हासिल कर सकूं। सीट बंटवारा भी इसी आधार पर होना चाहिए।”
एलजेपी (रामविलास) सुप्रीमो ने कहा कि जिस तरह लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट हासिल किया, ठीक वैसे ही विधानसभा में भी वे वैसी ही सीटें चाहते हैं। उन्होंने कहा, “लोकसभा में हमने हर सीट जीती थी। विधानसभा में भी मैं उन सीटों पर लड़ना चाहूंगा जहां से सौ फीसदी जीत की गारंटी दे सकूं। मेरे लिए संख्या नहीं, जीत की पक्की संभावना ज्यादा मायने रखती है।” चिराग पासवान का यह बयान साफ संकेत देता है कि उनकी पार्टी सीटों की संख्या पर समझौता कर सकती है, लेकिन सीटों की चयन प्रक्रिया में उनकी राय अहम होगी।
बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में से एनडीए में सीट शेयरिंग पर अंदरखाने चर्चा तेज है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक,
यानी एनडीए में जेडीयू और बीजेपी की बराबरी की हिस्सेदारी बने रहने की संभावना है, जबकि चिराग पासवान की पार्टी को करीब 25 से 28 सीटें दी जा सकती हैं। हालांकि चिराग का फोकस संख्या पर नहीं, बल्कि मजबूत सीटों पर है।
उधर महागठबंधन में भी सीट बंटवारे को लेकर तकरार जारी है। कांग्रेस, वामदल और वीआईपी सभी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में लगे हैं। कांग्रेस ने तो साफ कर दिया है कि वह तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने के पक्ष में नहीं है, बल्कि फैसला जनता पर छोड़ना चाहती है। 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और 75 सीट जीती थी। इस बार भी करीब 90 सीटों पर उसकी पकड़ मजबूत मानी जा रही है। वहीं कांग्रेस 70 सीटों पर दावा ठोक रही है। वामदल, झारखंड मुक्ति मोर्चा और वीआईपी भी ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं।
एनडीए में चिराग पासवान की शर्त भाजपा और जदयू के लिए नई चुनौती खड़ी कर रही है। वे संख्या कम होने के बावजूद सिर्फ जीतने योग्य सीटें चाहते हैं। यह स्थिति भाजपा-जदयू के लिए मुश्किल इसलिए है क्योंकि बिहार में हर सीट पर समीकरण अलग-अलग हैं और अपने-अपने गढ़ को कोई दल छोड़ना नहीं चाहता।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अब कुछ ही महीने बचे हैं, लेकिन अभी तक सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। चिराग पासवान की शर्त के बाद यह खींचतान और गहराने की संभावना है। अब देखना होगा कि भाजपा और जदयू उनकी मांग मानकर एनडीए को एकजुट रखते हैं या फिर सीटों की संख्या के खेल में नए विवाद खड़े होते हैं।
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