
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं और इस बार कांग्रेस ने महागठबंधन में अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए खास रणनीति बनाई है। पार्टी ने सीमाांचल क्षेत्र में अपनी पकड़ बढ़ाने के लिए पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को आगे कर तेजस्वी यादव की सियासत में चुनौती पैदा कर दी है। यह कदम कांग्रेस की नई राजनीतिक सोच को दर्शाता है जो सांसद पप्पू यादव और युवा नेता कन्हैया कुमार की लोकप्रियता पर आधारित है।
महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही जद्दोजहद में कांग्रेस अब केवल गठबंधन के दबाव में नहीं है बल्कि उसने अपनी मांगें बढ़ा दी हैं। इससे पहले सीमांचल में कांग्रेस का जनाधार कमजोर माना जाता था, लेकिन पप्पू यादव के निर्दलीय सांसद होने के बावजूद मजबूत जनाधार और कन्हैया कुमार के ओजस्वी वक्तृत्व ने पार्टी को सीमांचल में मजबूती दी है।
राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने कांग्रेस के राजनीतिक रंग को नया जीवन दिया है। इस अभियान में पप्पू और कन्हैया ने सक्रिय भूमिका निभाई, जिससे कांग्रेस को महसूस हुआ कि इनके बिना सीमांचल में पार्टी की जमीन कमजोर रहेगी। इसके बाद से कांग्रेस ने इन दोनों नेताओं के साथ गठबंधन की रणनीति को केंद्र में रखा है। सीटों के बंटवारे में सीमांचल की ज्यादातर सीटों को कांग्रेस ने अपने हिस्से में शामिल करने की सलाह दी है। इस मांग को तेजस्वी यादव और राजद की ओर से टककर मिल रही है, जिसके कारण गठबंधन के भीतर हलचल बढ़ गई है।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कांग्रेस की यह रणनीति केवल सीटों के लिए नहीं बल्कि तेजस्वी यादव के व्यक्तिगत नेतृत्व को चुनौती देने के लिए भी है। पप्पू और कन्हैया के बढ़ते कद से महागठबंधन में अंदरूनी समीकरणों में भी बदलाव आ सकता है। इससे तेजस्वी के ‘एकछत्र’ राज की थकान साफ नजर आ रही है। हालांकि तेजस्वी यादव ने बिहार की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत की है और वे महागठबंधन के प्रमुख चेहरे हैं, लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस महागठबंधन में अपने दम पर भी मजबूत होना चाहती है। उसी रणनीति में पप्पू यादव और कन्हैया को अहम भूमिका दी गई है।
इस नई रणनीति के तहत कांग्रेस ने न केवल सीमांचल के टिकटों की मांग की है बल्कि पूरे बिहार के कई जिलों में अपना जनाधार मजबूत करने का संकल्प लिया है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने भी गत बैठक में कहा कि उम्मीदवार चयन एवं सीट बंटवारे पर सक्रिय चर्चा चल रही है और जल्द ही फाइनल फैसला होगा। राजनीतिक जानकारों की मानें तो अगर सीट शेयरिंग फॉर्मूला लेकर तेजस्वी यादव और कांग्रेस के बीच मनमुटाव जारी रहा, तो इस गठबंधन को चुनाव में भारी नुकसान भी हो सकता है। वहीं, एनडीए इस दरार का फायदा उठाने के लिए तैयार है।
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