लालू प्रसाद यादव परिवार में तकरार की 4 कहानी: साला-समधी, बेटा और अब बेटी

Published : Nov 17, 2025, 09:58 AM IST
Lalu Yadav Faimly

सार

लालू प्रसाद यादव का परिवार सत्ता संघर्ष और व्यक्तिगत विवादों में टूट गया है। बेटे तेज प्रताप को निष्कासित किया गया, और किडनी दान करने वाली बेटी रोहिणी ने अपमानित होकर घर छोड़ दिया। 3 अन्य बहनों के जाने से परिवार अब बिखर चुका है।

पटना का 10 सर्कुलर रोड। यह वह आधिकारिक आवास है जहां लालू प्रसाद यादव ने 1990 से राज किया था। लेकिन इस राजमहल में अब केवल सन्नाटा पसरा है। खाली कमरे, बंद दरवाजे, और एक परिवार जो अब परिवार नहीं रहा। यह कहानी शुरू होती है सत्ता के लालच से, जारी रहती है परिवार की ईर्ष्या से, और खत्म होती है बेटी के आंसुओं से।

पहली दरार: साला साधु यादव और परिवार के साथ विद्रोह

साल 1997,  मुख्यमंत्री के आसन पर बैठी राबड़ी देवी, और उनके भाई साधु यादव पार्टी में प्रवेश करते हैं। उस समय किसी को नहीं पता था कि यह प्रवेश परिवार में पहली दरार का कारण बनेगा। साधु यादव बिहार की राजनीति में एक नई शक्ति थे। वे आरजेडी के अच्छे संगठक माने जाते थे, और लालू परिवार भी उन्हें सम्मान देता था। लेकिन धीरे-धीरे, यह सम्मान संदेह में बदल गया। साधु यादव को लगा कि उन्हें पार्टी में वह सत्ता नहीं मिल रही जिसकी उन्हें अपेक्षा है। पारिवारिक फैसले उन्हें नहीं बताए जाते थे, और अगर उनकी राय मांगी भी जाती थी, तो उसे नजरअंदाज किया जाता था।

2005 में जब आरजेडी सत्ता से हार गई, तब तक साधु यादव का धैर्य खत्म हो गया। वे खुलेआम लालू परिवार की आलोचना करने लगे। उन्होंने कहा कि लालू ने पार्टी को अपनी निजी दुकान में बदल दिया है। राबड़ी देवी ने तो इससे भी बड़ा कदम उठाया—उन्होंने अपने ही भाई को "परिवार विरोधी" करार दे दिया। और फिर 2009 में, साधु यादव ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया—वे आरजेडी को छोड़कर कांग्रेस में चले गए।​ यह पहली बार था जब परिवार के किसी सदस्य ने सार्वजनिक रूप से लालू के विरुद्ध विद्रोह किया था।

2014 में, तो साधु यादव ने अपनी बहन राबड़ी देवी के विरुद्ध सारण सीट से स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने तक की घोषणा कर दी। भाई-बहन, एक दूसरे के विरोधी बन गए। लालू परिवार के इस विभाजन को देश भर के समाचार पत्रों में छापा गया। राजनीति के इतिहास में, परिवार की ऐसी लड़ाई को शायद ही कभी देखा गया था।​

दूसरी दरार: चंद्रिका राय का प्रवेश और तेज प्रताप की विफलता

2018 में तेज प्रताप यादव ने विवाह किया चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय से। यह विवाह किसी परीकथा की तरह लगा। लालू के बड़े बेटे का विवाह एक समृद्ध परिवार की बेटी से। लेकिन न तो यह परीकथा थी, और न ही इसका अंत सुखद था। शादी के कुछ ही महीनों बाद, तेज प्रताप ने तलाक की अर्जी कोर्ट में दे दी। ऐश्वर्या ने लालू परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाया। यह विवाद शुरुआत में तो एक आंतरिक मामला था, लेकिन चंद्रिका राय के आने से यह राजनीति में बदल गया।​

चंद्रिका राय पहले आरजेडी के वरिष्ठ विधायक थे। लेकिन अपनी बेटी के साथ हुई तकरार के बाद, वे आरजेडी से दूर हो गए। 2020 में उन्होंने जेडीयू की सदस्यता ली। और फिर, 2024-25 के चुनावों में, वे सरेआम राजीव प्रताप रूडी के लिए प्रचार करने लगे—जो रोहिणी आचार्य (लालू की बेटी) के विरोधी थे।​

परिवार और राजनीति अब एक हो गई थीं। व्यक्तिगत दुश्मनी सार्वजनिक शत्रुता बन गई थी। तेज प्रताप और चंद्रिका राय के बीच सोशल मीडिया पर जहरीली बातें होने लगीं। कभी तेज प्रताप ससुर को "नौटंकीबाज" और "गिरगिट" कहते थे, तो चंद्रिका राय ने तेज प्रताप को "भगोड़ा" कहा।​

तीसरी दरार: भाइयों की जंग - तेजस्वी बनाम तेज प्रताप

2017 में लालू प्रसाद यादव ने एक निर्णय लिया जो परिवार को सदा के लिए बदल देगा। उन्होंने अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को पार्टी के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में घोषित किया। बड़ा बेटा तेज प्रताप, जो परंपरागत रूप से इस मुकाम के लिए अधिकारी माना जाता था, अवाक रह गया। उसे लगा कि दुनिया उसके पैरों के नीचे से खिसक गई।

तेज प्रताप ने बार-बार कहा कि पार्टी में उसकी बात नहीं सुनी जाती। उसने सार्वजनिक मंचों पर कहा कि पिता लालू प्रसाद यादव हैं, लेकिन पार्टी में अब उसे अनसुना किया जा रहा है। राबड़ी देवी और मीसा भारती ने परिवार के भीतर शांति बनाए रखने की कोशिश की, लेकिन यह असंतोष धीरे-धीरे खुले टकराव में बदल गया।

2025 के मई महीने में, सब कुछ फूट पड़ा। तेज प्रताप ने फेसबुक पर एक 12 साल पुरानी व्यक्तिगत तस्वीर पोस्ट की, जिसमें वह एक महिला के साथ दिख रहा था। तस्वीर के साथ एक कैप्शन था, "12 साल का रिश्ता।" लेकिन तस्वीर को फिर से हटा दिया गया। तेज प्रताप ने कहा कि उसका अकाउंट हैक हो गया था।

लेकिन लालू को यह सब कुछ बहुत नागवार गुजरा। 25 मई 2025 को, लालू ने एक बहुत ही कठोर कदम उठाया। उन्होंने X पर एक पोस्ट लिखी: "निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमजोर करती है। मेरे ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है। मैं उसे पार्टी और परिवार से 6 वर्षों के लिए निष्कासित करता हूं।"​ यह एक ऐतिहासिक पल था। एक बाप ने अपने बेटे को परिवार से निकाल दिया था। और सिर्फ पार्टी से नहीं—परिवार से भी।

चौथी दरार: रोहिणी आचार्य की "गंदी किडनी" की कहानी

साल था 2022, लालू प्रसाद यादव का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। वे गुर्दे की समस्या से जूझ रहे हैं। यह वह पल था जब रोहिणी आचार्य, डॉक्टर, परिवार की बेटी, जो सिंगापुर में एक सुखद जीवन जी रहा था, ने एक बड़ा निर्णय लिया। वह अपना एक किडनी अपने पिता को दान देने का फैसला करती है।

यह कोई छोटी बात नहीं थी। यह एक बेटी की सर्वोच्च कुर्बानी थी। रोहिणी को सिंगापुर में सर्जरी की गई, और प्रत्यारोपण सफल रहा। लालू की जान बच गई। बेटी को पूरे देश में "सेवावंदे बेटी" के रूप में सम्मानित किया गया। मीडिया में हर जगह उसकी तस्वीरें निकलीं।

लेकिन यह सम्मान केवल 3 साल के लिए था। 14 नवंबर 2025 को बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होते हैं। आरजेडी को एक विनाशकारी हार का सामना करना पड़ता है—75 सीटें घटकर 25 रह जाती हैं। यह एक आपदा थी। और इसी आपदा के बीच से एक भावुक संदेश आता है।

15 नवंबर 2025 को शनिवार की दोपहर रोहिणी आचार्य X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करती है, "मैं राजनीति छोड़ रही हूं। मैं अपने परिवार से नाता तोड़ रही हूं। संजय यादव और रमीज ने मुझसे यही करने को कहा है। और मैं सारा दोष अपने ऊपर ले रही हूं।"​ पोस्ट छोटा था। लेकिन इसमें बेटी की तकलीफ का पूरा महासागर था।

अगले घंटों में, रोहिणी एक के बाद एक दर्दनाक पोस्ट करती है, "कल मुझे गंदा बताया गया। कहा गया कि मैंने अपने पिता को अपनी 'गंदी किडनी' दान दी है। क्या यह सच है? क्या बेटी की कुर्बानी गंदी हो सकती है?"​ 

"सभी विवाहित महिलाओं से कहना चाहती हूं—अगर तुम्हारे माता-पिता के घर में कोई बेटा है, तो अपने पिता की जान बचाने के लिए अपना अंग न दो। अपने भाई को अपना किडनी दान कराने के लिए कहो।"​

और फिर, सबसे दर्दनाक पोस्ट, "कल एक बेटी को, एक बहन को, एक पत्नी को, एक माँ को अपमानित किया गया। उसे गंदा बुलाया गया। उसके लिए मेज पर हाथ में चप्पल उठाई गई। लेकिन मैंने अपने सम्मान का त्याग नहीं किया। लेकिन आज मुझे अपने माता-पिता को पीछे छोड़कर जाना पड़ा। मुझे अनाथ बना दिया गया।"​

तेजस्वी के सलाहकार संजय यादव कौन हैं?

संजय यादव राज्यसभा के सदस्य हैं। वे तेजस्वी के सबसे करीबी सलाहकार हैं। बहुत से पार्टी कार्यकर्ता कहते हैं कि तेजस्वी का कोई भी बड़ा फैसला संजय की मंजूरी के बिना नहीं होता है। यहां तक कि सोशल मीडिया पोस्ट भी। संजय यादव हरियाणा से हैं, बिहार की राजनीति के बाहर से आए हैं। और उनका यह "बाहरी" होना पार्टी में कई लोगों को नापसंद है।

सितंबर 2025 में, जब तेजस्वी की "बिहार अधिकार यात्रा" निकल रही थी, तब एक तस्वीर वायरल हुई। इस तस्वीर में संजय यादव तेजस्वी के ठीक आगे की सीट पर बैठे थे। रोहिणी ने इस तस्वीर को देखा, और उसे लगा कि यह सार्वजनिक रूप से तेजस्वी के आगे होने का संदेश है।

अंतिम विभाजन: तीन बहनें जाती हैं

16 नवंबर 2025 यानि रविवार को फिर से 10 सर्कुलर रोड पर एक हलचल मचती है। तीन और बहनें—रागिनी यादव, चंदा यादव, राजलक्ष्मी यादव—अपने-अपने बच्चों के साथ सामान लादने लगती हैं। उनकी गाड़ियां दिल्ली की ओर निकलती हैं। यह एक ऐतिहासिक पल था। लालू परिवार का राजमहल अब सूना पड़ जाता है। पहले तेज प्रताप को निष्कासित किया गया था। फिर रोहिणी ने परिवार छोड़ा। अब तीन और बहनें भी जा रही हैं। अब 10 सर्कुलर रोड में केवल तीन लोग रह गए हैं—लालू, राबड़ी देवी, और मीसा भारती।

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