
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए बीजेपी ने अपनी दूसरी सूची जारी कर दी है, जिसमें कई चौंकाने वाले और चर्चित नाम शामिल हैं। इन नामों में सबसे अधिक ध्यान बक्सर सीट से उम्मीदवार बनाए गए पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा ने खींचा है। अपने प्रशासनिक करियर में तेज-तर्रार और बेबाक छवि रखने वाले आनंद मिश्रा अब सक्रिय राजनीति में कदम रख चुके हैं। उन्हें बीजेपी की 'सुशासन और कड़े कानून-व्यवस्था' वाली छवि को मजबूती देने के लिए एक महत्वपूर्ण चेहरा माना जा रहा है।
आनंद मिश्रा 2011 बैच के असम-मेघालय कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी रहे हैं। उनका प्रशासनिक करियर मुख्य रूप से नक्सलवाद और ड्रग्स तस्करी के खिलाफ चलाए गए कड़े और सफल अभियानों के लिए जाना जाता है। वर्ष 2023 में उन्होंने अपनी सक्रिय सरकारी सेवा से वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले लिया और सक्रिय राजनीति में कदम रखा। असम के कई जिलों में अपनी तैनाती के दौरान उन्होंने कानून-व्यवस्था को सख्ती से लागू किया, जिसके कारण उनकी गिनती बिहार कैडर में न होते हुए भी एक प्रभावशाली अधिकारी के रूप में होने लगी थी।
आनंद मिश्रा का राजनीतिक प्रवेश काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। वीआरएस लेने के बाद उन्होंने तुरंत प्रशांत किशोर (PK) की जन सुराज पार्टी से खुद को जोड़ा था। उन्होंने बिहार में स्थानीय स्तर पर प्रशांत किशोर के साथ कई राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा भी लिया। हालांकि, अगस्त 2025 में उन्होंने एक बड़ा राजनीतिक फैसला लेते हुए जन सुराज का साथ छोड़ दिया और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का हाथ थाम लिया। बक्सर सीट से टिकट मिलना उनके इस फैसले का सीधा परिणाम माना जा रहा है।
जनसुराज छोड़ने के बाद आनंद मिश्रा ने एक पॉडकास्ट में इसके पीछे के कारण का खुलासा भी किया था। उन्होंने कहा था,
मैंने ऐसी जगह जाकर गलत किया। एक आदमी पैसे के दम पर अपना साम्राज्य खड़ा करना चाहता है। बिहार के नाम को बेचना चाहता है। प्रशांत जी की मैं इज्जत करता हूं, लेकिन उदय सिंह ने पार्टी में गंध मचाया है। उदय सिंह की वजह से ही मैंने पार्टी छोड़ी।
ADR और हलफनामों के अनुसार, आनंद मिश्रा की कुल संपत्ति लगभग ₹2.5 करोड़ के आसपास है। इसमें उनकी चल संपत्ति लगभग ₹1.7 करोड़ और अचल संपत्ति ₹77 लाख शामिल है। उनके पास बैंक में जमा राशि, म्यूचुअल फंड, वाहन और स्वर्ण आभूषण जैसी संपत्तियां भी हैं। खास बात यह है कि उनके ऊपर कोई कर्ज दर्ज नहीं है। इस हिसाब से वे बिहार के नेताओं में मध्यम वर्ग के संपन्न नेताओं में गिने जाते हैं।
पूर्व IPS अधिकारी आनंद मिश्रा का राजनीतिक करियर अभी शुरू हुआ है, लेकिन उनके प्रशासनिक अनुभव और स्पष्ट कार्यशैली के कारण उन्हें बीजेपी के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पार्टी को उम्मीद है कि उनके नामांकन से बिहार में कानून-व्यवस्था और ईमानदारी का संदेश जनता तक पहुंचेगा।
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