
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के लिए मंगलवार (4 नवंबर) शाम पांच बजे प्रचार थम गया। अब वोटिंग से पहले प्रत्याशी केवल ‘डोर-टू-डोर’ संपर्क में रहेंगे और शांति अवधि लागू हो गई है। इस चरण में कुल 121 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है, जिनमें से कई सीटों पर सियासी तापमान चरम पर पहुंच चुका है। खास कर मोकामा, राघोपुर, महुआ, तारापुर और अलीपुर सीट पर सबकी नजर टिकी हुई है। यहाँ मुकाबला सिर्फ दलों के बीच नहीं, बल्कि बाहुबल, पारिवारिक प्रतिष्ठा और विकास के दावों के बीच भी है।
मोकामा सीट इस बार भी बिहार की बाहुबली राजनीति का प्रतीक बन गई है। यहाँ जेडीयू के बाहुबली अनंत सिंह और राजद की वीणा देवी (बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी) आमने-सामने हैं। दोनों पक्षों की सियासी जड़ें गहरी हैं और समर्थक जोश में भरे हुए हैं। प्रचार के आखिरी दिन माहौल और गर्मा गया जब केंद्रीय मंत्री ललन सिंह पर एफआईआर दर्ज हुई। मोकामा की जनता इसे दो बाहुबलियों के टक्कर के रूप में देख रही है। जहां ताकत, लोकप्रियता और जातीय समीकरण तीनों निर्णायक साबित होंगे।
राघोपुर सीट पर इस बार सबकी नज़रें हैं, क्योंकि यह महागठबंधन के मुख्यमंत्री फेस तेजस्वी यादव की सीट है। तेजस्वी यहाँ पूरी ताकत झोंक चुके हैं, लेकिन भाजपा के सतीश कुमार यादव और तेज प्रताप यादव की पार्टी जनशक्ति जनता दल के प्रत्याशी सहित निर्दलीय उम्मीदवारों की चुनौती ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। यह वही सीट है, जहाँ लालू यादव ने अपनी सियासी पारी शुरू की थी और अब उसी ज़मीन पर परिवार का अगला अध्याय लिखा जा रहा है।
महुआ में इस बार मुकाबला सिर्फ राजनीतिक नहीं, पारिवारिक भी है। यहाँ लालू परिवार के दो धड़े आमने-सामने हैं। एक ओर तेज प्रताप यादव अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) के साथ मैदान में हैं, तो दूसरी ओर राजद के मुकेश कुमार रोशन को तेजस्वी यादव का सीधा समर्थन मिला है। तेज प्रताप अपने ठेठ अंदाज़ में प्रचार कर रहे हैं, “धर्म की स्थापना करनी है, असली लालूवाद बचाना है।”
तारापुर सीट पर बिहार की सत्ता के दो बड़े ध्रुव आमने-सामने हैं। यहाँ भाजपा के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की प्रतिष्ठा दांव पर है। उनके खिलाफ राजद के अरुण कुमार मैदान में हैं, जिन्हें महागठबंधन की ज़मीन से मजबूत समर्थन मिल रहा है। यह सीट भाजपा के लिए पॉलिटिकल लिटमस टेस्ट मानी जा रही है क्योंकि अगर यहाँ पार्टी पिछड़ी तो इसका सीधा असर सरकार के मनोबल पर पड़ेगा। वहीं राजद के लिए यह मौका है यह साबित करने का कि नीतीश-भाजपा गठबंधन के खिलाफ जनता में वास्तविक असंतोष है।
अलीपुर सीट इस बार चुनावी चर्चा में इसलिए है क्योंकि यहाँ लोकप्रिय लोकगायिका मैथिली ठाकुर ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में कदम रखा है। उनके सामने हैं राजद के विनोद मिश्रा, जो स्थानीय मुद्दों और जातीय समीकरणों पर भरोसा कर रहे हैं। मैथिली ठाकुर की लोकप्रियता और उनकी साफ-सुथरी छवि ने इस सीट को ग्लैमरस और भावनात्मक दोनों बना दिया है। यहाँ जनता देखना चाहती है कि क्या सोशल मीडिया की स्टार ताकत, ग्राउंड पॉलिटिक्स को हरा सकती है।
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