गया टाउन विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी के प्रेम कुमार ने जीत हासिल की है। उन्हें 90,878 वोट मिले। प्रेम कुमार ने 26,423 वोटों के अंतर से कांग्रेस उम्मीदवार अखौरी ओंकार नाथ को पराजित किया। ओंकार नाथ को कुल 64,455 वोट मिले।
Gaya Town Assembly Election 2025: गया टाऊन विधानसभा 2025 सीट भारतीय जनता पार्टी के प्रेम कुमार जीत गए हैं। उन्हें 90878 वोट मिले। उन्होंने 26423 वोटों के अंतर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अखौरी ओंकार नाथ को हराया। ओंकार नाथ को 64455 वोट मिले।इस सीट पर हर बार सियासी महासंग्राम देखने को मिलता है। 2025 के चुनाव में भी यहां बीजेपी (BJP), कांग्रेस (INC), आरजेडी (RJD) और वामदल पूरी ताकत से उतरे। जातीय समीकरण, शहरी मतदाता और स्थानीय मुद्दे इस बार भी निर्णायक रहे।
2020 का गया टाउन चुनाव: बीजेपी ने फिर मारी बाजी
2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता प्रेम कुमार ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की।
प्रेम कुमार (BJP)- 66,932 वोट
अखौरी ओंकार नाथ (INC)- 55,034 वोट
जीत का अंतर- 11,898 वोट
खास बात: इस चुनाव में कुल मतदान प्रतिशत 49.89% रहा। नतीजे ने साफ कर दिया कि प्रेम कुमार की पकड़ अभी भी मजबूत है, हालांकि कांग्रेस ने कड़ी टक्कर जरूर दी।
नोट: डॉक्ट्रेट की डिग्री रखने वाले प्रेम कुमार पर छह आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। उनकी कुल चल-अचल संपत्ति 1.70 करोड़ रुपए हैं और उन पर 9 लाख रुपए का कर्जा है।
2015 का गया टाउन परिणाम: बीजेपी का दबदबा बरकरार
2015 में भी बीजेपी का परचम लहराया।
प्रेम कुमार (BJP)- 66,891 वोट
प्रिया रंजन (INC) - 44,102 वोट
जीत का अंतर- 22,789 वोट
खास बात: इस बार कांग्रेस वोटों के अंतर को कम नहीं कर सकी और प्रेम कुमार ने आसानी से जीत हासिल कर ली।
2010 का चुनाव: CPI को मिली करारी शिकस्त
2010 के चुनाव में भी बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया।
प्रेम कुमार (BJP)- 55,618 वोट
जलालउद्दीन अंसारी (CPI) - 27,201 वोट
जीत का अंतर - 28,417 वोट
खास बात: यह चुनाव प्रेम कुमार के लिए एकतरफा साबित हुआ और उन्होंने अपने राजनीतिक कद को और मजबूत किया। यानी तीन चुनावों में प्रेम कुमार ने एकतरफा बढ़त बनाई हुई है।
गया टाउन विधानसभा की अहमियत
गया टाउन विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों को समेटे हुए है। यहां का चुनाव हमेशा रोमांचक होता है क्योंकि –
1. शहरी वोटर विकास और रोजगार जैसे मुद्दों पर ध्यान देते हैं।
2. जातीय समीकरण भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।
3. 2020 में कुल 49.89% वोटिंग दर्ज की गई।
4. शिक्षा, ट्रैफिक जाम और रोजगार यहां के अहम मुद्दे बने रहते हैं।
खास बात: इस सीट का नतीजा सिर्फ गया जिले ही नहीं बल्कि पूरे बिहार की राजनीति को प्रभावित करता है।
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