ग्रेजुएट किसान ने स्टार्टअप से बदली तकदीर, अब हर महीने लाखों की कमाई

Published : Feb 05, 2025, 04:56 PM IST
kanhaiya

सार

बेगूसराय के कन्हैया शरण ने मत्स्य पालन को अपना करियर बनाकर लाखों कमा रहे हैं। शुरुआती चुनौतियों और सामाजिक विरोध के बाद, उन्होंने ट्रेनिंग और तकनीकी ज्ञान से सफलता पाई और अब दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं।

पटना। जहां देशभर में हजारों युवा डिग्री लेकर रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं, वहीं बेगूसराय के एक ग्रेजुएट युवक ने अपनी तकदीर खुद लिखी। यह युवक पढ़ाई का सही यूज कर अपने स्टार्टअप से हर महीने लाखों की कमाई कर रहा है। हम बात कर रहे हैं कन्हैया शरण की, जिन्होंने Geology से ग्रेजुएशन करने के दौरान एडीशनल सब्जेक्ट के रूप में मत्स्य पालन (फिश फार्मिंग) की पढ़ाई की और इसे करियर बना लिया। अब खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं। आइए जानते हैं कि कैसे एक ग्रेजुएट किसान दूसरों के लिए प्रेरणा बन गया?

शुरूआती दिनों में झेला समाज व परिवार का ​विरोध

बेगूसराय जिले के बखरी प्रखंड के रहने वाले कन्हैया शरण का सपना एक अच्छी नौकरी पाना था, लेकिन जब उन्होंने मत्स्य पालन में बिजनेस की संभावनाओं के बारे में जाना, तो उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू करने का फैसला किया। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने इस क्षेत्र की संभावनाओं को पहचाना और इसे ही अपना करियर चुना। शुरुआती दौर में घरवालों और समाज का विरोध झेलना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

ट्रेनिंग के बाद एक छोटे से तालाब से मछली पालन की शुरूआत

कन्हैया के लिए यह बिजनेस शुरू करना आसान नहीं था। शुरूआती दिनों में उन्हें न बिजनेस की तकनीकी जानकारी थी और न ही कोई गाइडेंस। शुरुआती निवेश के लिए उन्होंने सरकार की मदद ली। बेगूसराय जिला मत्स्य पालन विभाग ने उन्हें ट्रेनिंग और वित्तीय सहायता दी। उन्होंने एक छोटे तालाब से मछली पालन की शुरुआत की, लेकिन जल्द ही समस्याएं सामने आने लगीं।

शुरूआत में आईं ये तकनीकी समस्याएं

शुरुआत में कन्हैया को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी समस्या थी तालाब के पानी का पीएच लेवल और ऑक्सीजन की कमी। कन्हैया ने पाया कि कभी पानी का पीएच लेवल बढ़ जाता था, तो कभी ऑक्सीजन लेवल गिर जाता था, जिससे मछलियां मरने लगीं। उन्होंने किशनगंज और भुवनेश्वर से विशेष ट्रेनिंग ली, जहां उन्होंने इन प्रॉब्लम से निपटने के तरीके सीखे। पहली बार उन्होंने लोकल मार्केट से मछली के बीज खरीदे, लेकिन क्वालिटी निचले दर्जे की होने के कारण नुकसान हुआ। इसके बाद उन्होंने खुद की हेचरी (Hatchery) तैयार करने का फैसला किया, ताकि बेहतर क्वालिटी के मछली बीज तैयार कर सकें।

मछली पालन कैसे बना फायदे का सौदा?

कन्हैया का बिजनेस आज लाखों में पहुंच चुका है, लेकिन इसकी जड़ें उनकी हेचरी से जुड़ी हुई हैं। मछली बीज की खेती 6 महीने के चक्र में होती है। हर महीने वे लाखों रुपये का टिश्यू कल्चर बीज बेचते हैं। बचे हुए 6 महीनों में वे मछलियों को बड़ा कर बाजार में बेचते हैं। एक सीजन में 5-6 लाख तक की मछली बेचते हैं। अब कन्हैया का बिजनेस केवल उनकी कमाई तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने कई अन्य युवाओं को भी रोजगार से जोड़ा है। उनके फार्म से लोकल फॉर्मर और बेरोजगार युवा भी जुड़े हैं, जो उनके गाइडेंस में अपना खुद का बिजनेस कर रहे हैं।

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