पटना। बिहार के पूर्व मंत्री और दलित नेता जगलाल चौधरी की 130वीं जयंती में शामिल होने पटना पहुंचे राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। जातिगत गणना, दलितों और पिछड़ों के प्रतिनिधित्व, आर्थिक असमानता पर अपनी बात कही। हालांकि, कार्यक्रम के दौरान उन्होंने एक गलती कर दी—जगलाल चौधरी को "जगत चौधरी" कह दिया, जिससे हलचल मच गई। बाद में लोगों टोकने पर उन्होंने अपनी गलती सुधारी। राहुल गांधी के इस भाषण ने तेजस्वी यादव के लिए भी असहज स्थिति पैदा कर दी, क्योंकि बिहार की जातिगत गणना पर सवाल उठाते हुए उन्होंने तेलंगाना मॉडल को बेहतर बताया।
जातिगत गणना के समय सरकार में शामिल थी राजद
लोगों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी, नीतीश सरकार द्वारा कराई गई जातिगत गणना पर सवाल खड़े कर राजद के तेजस्वी यादव को भी टेंशन दे गए, क्योंकि जब बिहार में जातिगत जनगणना कराई गई थी। उस समय राष्ट्रीय जनता दल यानी राजद भी सरकार में शामिल थी और तेजस्वी खुद जातिगत गणना को अपनी बड़ी उपलब्धि बता रहे थे। यह ऐसा दूसरा मौका है, जब राहुल गांधी ने बिहार की जातिगत गणना पर सवाल खड़े किए हैं।
बिहार की जातिगत गणना पर क्या बोले राहुल?
राहुल गांधी ने कहा कि यदि जातिगत भागीदारी का सही विश्लेषण करना है तो तेलंगाना में हुई जातिगत गणना को देखना चाहिए, न कि बिहार की। राहुल गांधी ने कहा कि "सही डेटा" तेलंगाना में हुआ सर्वेक्षण दिखाएगा। उन्होंने दावा किया कि जातिगत भागीदारी का असली चेहरा तभी सामने आएगा, जब पूरी पारदर्शिता से सर्वे किया जाए। राहुल गांधी का यही बयान तेजस्वी यादव के लिए चुनौती साबित हो सकता है।
दलितों और पिछड़ों के प्रतिनिधित्व पर सवाल
राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा कि भारत के सिस्टम में दलितों और पिछड़ों को हाशिए पर रखा गया है। उन्होंने इसे समझाने के लिए संस्थागत भागीदारी का जिक्र किया और दावा किया कि देश में दलितों को केवल "प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व" दिया जाता है, वास्तविक अधिकार नहीं। राहुल गांधी ने कहा कि "मंच पर जगह देने का कोई मतलब नहीं, अगर असली अधिकार न मिले।" उन्होंने आरोप लगाया कि "मोदी सरकार सिर्फ दलितों को पद देती है, पर उनके अधिकार किसी और के पास होते हैं।" जैसे—एक दलित को मंत्री बना दिया और ओएसडी आरएसएस का। बिना अधिकार के प्रतिनिधित्व बेकार है।
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