मिथिलांचल की 7 सबसे हॉट सीट, जानें क्यों इन्हें हर हाल में जीतना चाहती है NDA?

Published : Oct 25, 2025, 04:56 PM IST
bihar chunav

सार

बिहार चुनाव 2025 में मिथिलांचल की 30 सीटें निर्णायक हैं। NDA की नजर उन 7 सीटों पर है, जो 2020 में चिराग पासवान की वजह से हारी थीं। अब चिराग के साथ होने से NDA इन्हें वापस जीतने की कोशिश में है।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुकाबला कांटे का है, लेकिन सभी की निगाहें मिथिलांचल की 30 सीटों पर टिकी हैं। राजनीतिक गलियारों में यह माना जाता है कि इन सीटों का परिणाम ही नई सरकार की दिशा तय करेगा। इन 30 सीटों में से, 7 सीटें ऐसी हैं जो 'हॉट सीट' बन चुकी हैं और दोनों गठबंधनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल हैं। इन सातों सीटों पर वर्तमान में राजद और माकपा का कब्जा है, और NDA इन्हें हर हाल में अपनी झोली में डालना चाहता है।

क्यों 'हॉट' हैं मिथिलांचल की ये 7 सीटें?

मिथिलांचल की 30 सीटों में से शेष 23 पर NDA का कब्जा है, लेकिन ये 7 सीटें विपक्षी गठबंधन (INDIA) के पास हैं। इनमें दरभंगा की एक, समस्तीपुर की चार और मधुबनी की दो सीटें शामिल हैं।

  • RJD के प्रमुख विधायक: इन सीटों पर राजद के कई बड़े नाम विधायक हैं, जिनमें समस्तीपुर के हसनपुर से तेज प्रताप यादव, दरभंगा ग्रामीण से ललित कुमार यादव और मधुबनी से समीर कुमार महासेठ शामिल हैं।
  • माकपा का गढ़: विभूतिपुर सीट पर माकपा के अजय कुमार का कब्जा है, जो इस क्षेत्र में वामपंथ की मजबूती का प्रतीक है।
  • NDA के लिए 'नुकसान' की भरपाई: 2020 के चुनाव में इन सीटों पर NDA को हार का सामना करना पड़ा था, जिसका मुख्य कारण तब की सहयोगी लोजपा (चिराग पासवान गुट) के उम्मीदवार थे, जिन्होंने JDU के खिलाफ ताल ठोकी थी। इस बार चिराग पासवान NDA के साथ हैं, इसलिए इन 7 सीटों पर वापसी गठबंधन की प्रतिष्ठा का विषय बन गई है।

2020 का 'चिराग फैक्टर' और NDA का नुकसान

2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा ने मिथिलांचल की 30 में से 17 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इनमें से 7 सीटें ऐसी थीं, जहां लोजपा के उम्मीदवार भले ही नहीं जीते, लेकिन उन्होंने JDU (तब NDA में) के वोट काटकर RJD या CPM के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित कर दी थी।

सबसे ज्यादा नुकसान समस्तीपुर में

समस्तीपुर जिले की 7 सीटों में से 4 पर NDA को सीधा नुकसान पहुंचा। विभूतिपुर, हसनपुर, समस्तीपुर और मोरवा में लोजपा प्रत्याशियों को मिले अच्छे-खासे वोटों ने JDU उम्मीदवारों को दूसरे या तीसरे स्थान पर धकेल दिया और राजद या माकपा को जीत मिली। उदाहरण के लिए, हसनपुर में तेज प्रताप यादव की जीत के पीछे भी लोजपा के अर्जुन प्रसाद यादव को मिले 9,882 मतों की बड़ी भूमिका थी।

मधुबनी और दरभंगा की स्थिति

  • मधुबनी की लौकहा और मधुबनी सीट पर भी लोजपा उम्मीदवार क्रमशः 30,494 और 15,818 मत प्राप्त करके NDA की हार का कारण बने।
  • दरभंगा ग्रामीण सीट पर लोजपा प्रत्याशी को मिले 17,605 मतों के कारण JDU की हार हुई, और राजद के ललित कुमार यादव विधायक बने।

2025 का समीकरण

इस बार चिराग पासवान NDA गठबंधन का हिस्सा हैं। ऐसे में NDA की रणनीति स्पष्ट है: 2020 में जो 7 सीटें लोजपा के कारण झोली में नहीं आ पाई थीं, उन्हें इस बार हर हाल में जीतना है। चिराग के समर्थक अब गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए काम करेंगे, जिससे NDA का वोट बैंक मजबूत होने की उम्मीद है।

वहीं, INDIA गठबंधन भी इन सीटों को छोड़ने को तैयार नहीं है। इन सीटों पर काबिज राजद और माकपा विधायक अपनी मजबूत पकड़ और स्थानीय जातीय समीकरणों के दम पर अपनी जीत दोहराने की तैयारी में हैं।

चुनावी नतीजे आने तक, राज्य के दोनों प्रमुख गठबंधन के साथ-साथ मतदाताओं को भी इस बात का इंतजार है कि क्या चिराग पासवान की वापसी से NDA इन 'हॉट 7' सीटों को वापस जीत पाएगा या INDIA गठबंधन इन गढ़ों को बचाकर सरकार की दिशा बदलने में कामयाब होगा।

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