
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आते ही नेताओं और प्रत्याशियों का जनता से सीधा संवाद तेज हो गया है। लेकिन इस बार कुछ नेताओं के लिए जनता से मिलना आसान नहीं दिख रहा। ताज़ा घटनाक्रम में राजद के दो विधायकों उजियारपुर से आलोक कुमार मेहता और दिनारा से विजय कुमार मंडल को अपने ही क्षेत्रों में जनता का तीखा विरोध झेलना पड़ा।
नीतीश सरकार के पूर्व मंत्री और राजद विधायक आलोक मेहता शुक्रवार को अपने विधानसभा क्षेत्र उजियारपुर के रायपुर पंचायत के आईटीआई महादलित टोला में वोट मांगने पहुंचे। जैसे ही विधायक का आगमन हुआ, कुछ लोग भड़क गए। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि उन्होंने पिछले पांच सालों में कभी गांव में जाकर जनता की समस्याएं नहीं सुनीं, लेकिन चुनाव नजदीक आते ही वोट मांगने पहुंचे हैं।
विरोध करते हुए कुछ लोगों ने कहा, “आप लालटेन के नाम पर कलंक हैं। सब बेकार कर दिया। अब चुनाव करीब है तो समय मिला।”
इस दौरान कुछ युवकों ने विरोध का वीडियो बना लिया, जिसे सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल किया जा रहा है। वीडियो में विधायक हाथ जोड़ते नजर आए और असहज स्थिति में वहां से लौट गए। उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र के सैदपुर जाहिद गांव में भी विधायक को इसी तरह विरोध झेलना पड़ा। ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि इस बार वे स्थानीय उम्मीदवार को ही वोट देंगे, बाहरी नेता नहीं।
इसी तरह, रोहतास जिले के दिनारा विधानसभा क्षेत्र में राजद विधायक विजय कुमार मंडल के खिलाफ भी नाराजगी देखने को मिली। वे अपने क्षेत्र में योजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन के लिए पहुंचे, लेकिन ग्रामीणों ने उनके काफिले को रोक लिया।
स्थानीय लोगों ने सवाल किया, “गांव में सड़क क्यों नहीं बनी? कई बार शिकायत की, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं हुआ।” विधायक ने जवाब दिया कि उनके क्षेत्र में ऐसे 400 गांव हैं, लेकिन इससे भी स्थानीय नाराजगी कम नहीं हुई।
दोनों घटनाओं का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। उजियारपुर और दिनारा में जनता के गुस्से ने दिखा दिया कि चुनावी समय में भी नेता जनता की नाराजगी का सामना कर रहे हैं।
बता दें कि आलोक मेहता, राजद प्रमुख लालू यादव के खास करीबी माने जाते हैं। महागठबंधन की सरकार में वे भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री और बाद में शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। उनके पिताजी ने भी इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वहीं, विजय कुमार मंडल, दिनारा से राजद विधायक हैं और अपने क्षेत्र में विकास योजनाओं के उद्घाटन के लिए जाने पर विरोध झेल रहे हैं।
जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नज़दीक आ रहे हैं, राजनीतिक नेताओं के लिए जनता से संपर्क करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। उजियारपुर और दिनारा की घटनाओं ने स्पष्ट किया कि जनता नेताओं के कार्यों पर कड़ी नजर रख रही है और केवल चुनावी समय पर सक्रिय नेताओं को खारिज कर सकती है।
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