
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। इसी कड़ी में जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने जोरदार हमला करते हुए कहा है कि महागठबंधन को अपने नेता तेजस्वी यादव पर भरोसा नहीं है। अभिषेक झा ने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को अपना चेहरा स्वीकार कर लिया था, जबकि अब 2025 के चुनाव में सभी दल उनसे कन्नी काट रहे हैं। उनका कहना है कि जब अपने ही गठबंधन को अपने नेता के चेहरे पर भरोसा नहीं होता, तब बिहार की जनता उस नेता पर भरोसा कैसे कर सकती है?
अभिषेक झा ने तेजस्वी यादव के राजनीतिक प्रयासों और उनकी छवि पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव को अपने गठबंधन के अंदर मजबूत समर्थन नहीं मिल रहा है। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि बिहार की जनता राज्य का मुख्यमंत्री चुनेगी और अभी तक कांग्रेस पार्टी ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में स्वीकार नहीं किया है। वहीं, आरजेडी के लोग इस बात पर असमंजस की स्थिति बनाए हुए हैं कि कांग्रेस ने हां कहा है या ना। इस दुविधा के कारण महागठबंधन की स्थिति बहुत जटिल हो गई है।
इसके साथ ही कांग्रेस बिहार प्रभारी कृष्णा अलावरू ने भी मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि चिंता करने की कोई बात नहीं है, बिहार की जनता ही मुख्यमंत्री का चेहरा तय करेगी। सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत अच्छी चल रही है और हर बैठक में ज्यादा से ज्यादा सीट क्लियर करने का प्रयास हो रहा है। नए गठबंधन सहयोगी को लेकर कृष्णा अलावरू ने कहा कि किसी भी नए एलायंस में शामिल होने के लिए मौजूदा पार्टनर्स को थोड़ी कुर्बानी देनी पड़ेगी, जो कि हर गठबंधन का एक हिस्सा होता है।
कृष्णा अलावरू ने सरकार को 'वोट चोरों की सरकार' बता कर आरोप लगाया है कि यह सरकार जनता के लिए काम नहीं करती क्योंकि यह वोट चोरी से सरकार में आई है। उन्होंने अडानी को सस्ते दाम पर जमीन देने का भी मामला उठाया। वहीं, तेजस्वी यादव की 'माँ बहन योजना' को लेकर एनडीए ने सवाल उठाए हैं। इस पर कृष्णा अलावरू ने कहा कि अगर लोगों की भलाई करने में गलती है तो FIR दर्ज कराएं, लेकिन इंडिया गठबंधन लोगों के मुद्दों और भलाई से पीछे नहीं हटेगा।
जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव को यह देखना चाहिए कि पहले उनका गठबंधन एकजुट हो, तभी वे बिहार की जनता से भरोसा जीत सकते हैं। जब गठबंधन के अंदर नेता को लेकर असहमति हो, तो जनता के बीच उस नेता की साख बनी रहना मुश्किल है। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि तेजस्वी यादव की राजनीतिक हालत पहले कभी इतनी विकट नहीं रही और उनके लिए यह बेहद बड़ा राजनीतिक दुर्भाग्य है।
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