
Lalu Yadav Bhojpur visit: बिहार के भोजपुर जिले के संदेश प्रखंड में शनिवार को पूर्व विधायक अरुण यादव के पिता स्व. भुनेश्वर सिंह यादव की दूसरी पुण्यतिथि पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस मौके पर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव विशेष रूप से पहुंचे और दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने भुनेश्वर सिंह यादव की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और हवन-पूजन में आहुति देकर आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। साथ ही परिवार को आशीर्वाद देते हुए कहा कि भुनेश्वर सिंह यादव संघर्षशील समाजवादी विचारधारा के व्यक्तित्व थे, जिन्होंने गरीबों और वंचितों के लिए आवाज उठाई थी।
पुण्यतिथि के मौके पर गांव में उत्सव जैसा माहौल देखने को मिला। इस दौरान लालू यादव के स्वागत में परंपरागत गोंड नृत्य और लौंडा नाच का स्पेशल आयोजन किया गया। उनके पहुंचते ही ग्रामीणों और समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया और पूरे गांव में उल्लास का माहौल छा गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में राजद कार्यकर्ता, स्थानीय नेता और ग्रामीण उपस्थित रहे। लोग लालू यादव की एक झलक पाने के लिए उत्सुक दिखे। कार्यक्रम के दौरान नारेबाजी और तालियों की गूंज से वातावरण गूंज उठा। भोजपुर का यह आयोजन राजनीतिक और सांस्कृतिक रंगों का अनोखा संगम बन गया।
वर्तमान में, अरुण यादव की पत्नी किरण देवी संदेश विधानसभा से राजद विधायक हैं। बिहार चुनाव से पहले लालू यादव का भोजपुर के संदेश पहुंचना एक बड़ा राजनीतिक संकेत माना जा रहा है। चुनाव से पहले लालू यादव सक्रिय मोड में नज़र आ रहे हैं। सवाल यह है कि अगर चुनाव से पहले लालू यादव इस तरह सक्रिय होते हैं, तो इसका क्या असर होगा? राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि चुनाव से पहले लालू यादव के सक्रिय होने से राजद को कितना फ़ायदा होगा। राजनीतिक जानकारों की मानें तो लालू यादव के इस तरह सक्रिय होने से कार्यकर्ताओं में एक ख़ास संदेश जाएगा। कार्यकर्ता लालू यादव से भावनात्मक रूप से जुड़ेंगे।
इसके अलावा, लालू यादव के सक्रिय होने से पार्टी के साथ-साथ उन विधायकों को भी फ़ायदा होगा जहां लालू यादव 2025 के चुनाव में दौरे कर रहे हैं। बिहार की राजनीति में लालू यादव को आज भी एक करिश्माई व्यक्तित्व के रूप में देखा जाता है। राजनीतिक दृष्टि से, आज भी कार्यकर्ता लालू यादव की बातों को अपने दिल के करीब रखते हैं। लालू यादव के बोलने के अंदाज़ का कार्यकर्ताओं से ख़ास जुड़ाव है। और कार्यकर्ताओं के साथ ठेठ व्यवहार राजद को फ़ायदा पहुंचा सकता है। यह भी माना जा रहा है कि राजद के वोटों को एकजुट करने में लालू यादव ख़ास भूमिका निभा सकते हैं। यादवों, मुसलमानों और अति पिछड़ों को एकजुट करने के लिए लालू यादव कोई भी कदम उठा सकते हैं। बिहार चुनाव से पहले लालू यादव का सक्रिय होना विरोधियों के लिए भी चिंता का विषय होगा।
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राजनीतिक जानकारों की मानें तो लालू यादव के सक्रिय होने से विपक्ष की राजनीति को एक नई धार मिलेगी। उस धार के सहारे तेजस्वी यादव और महागठबंधन के दूसरे दल भी आगे बढ़ेंगे। वैसे भी लालू यादव कांग्रेस पार्टी से जो भी कहेंगे, कांग्रेस को वही करना होगा। बाकी छोटे दलों का ध्यान रखा जाएगा। तेजस्वी यादव ने पिछली बार भी मजबूती से चुनाव लड़ा था, लेकिन सत्ता तक पहुंचने में कामयाब नहीं हुए थे। लालू यादव को लगता है कि इस बार थोड़ी सी कोशिश से माहौल बनाया जा सकता है और तेजस्वी को गद्दी मिल सकती है। लालू यादव के इस तरह सक्रिय होने से पार्टी के भीतर चल रहे आंतरिक असंतोष पर लगाम लग सकती है। लालू यादव की बातों का कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं पर काफ़ी असर पड़ता है। लालू यादव ने आरा जाकर जिस तरह से कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है, अगर वह इसी तरह बिहार चुनाव में सक्रिय हो गए तो तेजस्वी की जीत आसान हो सकती है।
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