
पटनाः बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में मतदान होगा। पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर को। जबकि वोटों की गिनती 14 नवंबर को की जाएगी। चुनावी माहौल गर्म है, पोस्टरबाजी तेज है, लेकिन इस बार भी महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी पर सवाल उठ रहे हैं। हर दल मंच से महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण की बातें करता है, लेकिन टिकट वितरण की बारी आती है, तो तस्वीर कुछ और ही दिखती है।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इस बार अपने 143 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की है। इसमें 24 महिलाएं शामिल हैं। यानी कुल उम्मीदवारों में से करीब 17% महिलाएं हैं। इस तरह, राजद इस चुनाव में सबसे ज्यादा महिलाओं को टिकट देने वाली पार्टी बन गई है। तेजस्वी यादव की टीम ने इस बार युवा और महिला नेतृत्व को तरजीह दी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी का फोकस “सामाजिक न्याय के साथ प्रतिनिधित्व न्याय” पर है। यही कारण है कि सूची में कई नए और जमीनी स्तर से उभरकर आई महिलाओं को टिकट दिया गया है।
वहीं, एनडीए गठबंधन की दोनों बड़ी पार्टियां, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल (यूनाइटेड) महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में पिछड़ गई हैं। दोनों पार्टियां 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन महज 13-13 महिलाओं को टिकट दिया है। यानी कुल उम्मीदवारों में महिलाओं की हिस्सेदारी 13% से भी कम है। यह वही पार्टियां हैं जो मंच से महिलाओं की 33% आरक्षण की वकालत करती हैं और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे नारे देती हैं। लेकिन जब मौका टिकट देने का आया, तो तस्वीर बदल गई।
कांग्रेस ने भी महिलाओं को लेकर बहुत बेहतर प्रदर्शन नहीं किया है। पार्टी ने इस बार 60 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन सिर्फ 5 महिलाओं को टिकट दिया है। यानी कुल सीटों का 10% से भी कम। उधर, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने 29 सीटों में से 6 महिलाओं को टिकट दिया है। हालांकि, इनमें से ज़्यादातर महिलाएं किसी न किसी बड़े नेता की पत्नी या बेटी हैं। यानी “नेता परिवार” का प्रभाव यहां भी साफ दिखता है।
बिहार में हर चुनाव में महिलाएं निर्णायक भूमिका निभाती हैं। 2015 और 2020 दोनों ही चुनावों में महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से ज्यादा रही थी। लेकिन टिकट वितरण के आंकड़े बताते हैं कि दल अभी भी महिलाओं को वोट बैंक की तरह देखते हैं, नेता बनाने की तरह नहीं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार में महिला मतदाता अब सिर्फ भीड़ नहीं, दिशा तय करने वाली ताकत हैं। लेकिन जब तक दल टिकट देने में ईमानदारी नहीं दिखाएंगे, तब तक “महिला सशक्तीकरण” सिर्फ भाषणों तक सीमित रहेगा।
RJD ने इस बार पहल की है और महिलाओं को टिकट देकर एक संकेत दिया है कि बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। अब देखना यह है कि क्या मतदाता इस बदलाव को स्वीकार करते हैं, या वही पुरानी राजनीति फिर से दोहराई जाती है।
बिहार की राजनीति, सरकारी योजनाएं, रेलवे अपडेट्स, शिक्षा-रोजगार अवसर और सामाजिक मुद्दों की ताज़ा खबरें पाएं। पटना, गया, भागलपुर सहित हर जिले की रिपोर्ट्स के लिए Bihar News in Hindi सेक्शन देखें — तेज़ और सटीक खबरें Asianet News Hindi पर।