
पटनाः नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की का शपथ ग्रहण भले ही हाल ही में हुआ हो, लेकिन उनकी राजनीतिक यात्रा की जड़ें बिहार के अररिया जिले के फारबिसगंज की धरती में गहराई से जुड़ी हैं। यह कहानी कोई साधारण राजनीतिक सफर नहीं है, बल्कि इतिहास, रोमांच, प्रेम और संघर्ष से बुनी हुई एक प्रेरक गाथा है। यह यात्रा 52 साल पहले शुरू हुई थी, जब एक विमान हाईजैक ने दक्षिण एशिया की राजनीति की दिशा बदल दी थी।
10 जून 1973 की सुबह फारबिसगंज हवाई पट्टी पर असामान्य हलचल हुई। रॉयल नेपाल एयरलाइंस का 19-सीटर कनाडियन ट्विन-ओटर विमान विराटनगर से काठमांडू जा रहा था। लेकिन उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद तीन युवक दुर्गा प्रसाद सुबेदी, नागेंद्र धुंगेल और बसंत भट्टाराई ने विमान पर कब्जा कर लिया। विमान को भारतीय सीमा पार कर बिहार के फारबिसगंज में उतारा गया। हाईजैकर्स के पास हवाई पट्टी का सिर्फ हाथ से बनाया नक्शा था, फिर भी विमान सुरक्षित उतर गया। स्थानीय लोगों ने उस दिन को चमत्कार कहा।
विमान से तीन बक्सों में भरे 30 लाख रुपये उतारे गए। यह धन नेपाल में चल रहे राजशाही विरोधी संघर्ष के लिए भेजा गया था। वहां पहले से मौजूद 6 साथियों ने इसे सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। योजना का नेतृत्व गिरिजा प्रसाद कोइराला कर रहे थे, जो बाद में नेपाल के प्रधानमंत्री बने। यह घटना नेपाल में लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव रखने वाली मानी जाती है।
हाईजैक ऑपरेशन के बाद दुर्गा प्रसाद सुबेदी गिरफ्तार हुए, लेकिन जेल से रिहाई के बाद वे वाराणसी हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने पहुँचे। वहीं राजनीति विज्ञान की छात्रा सुशीला कार्की से मुलाकात हुई। दोनों के बीच प्रेम पनपा, जिसने आगे चलकर उन्हें नेपाल की सत्ता के केंद्र तक पहुँचा दिया। सुशीला कार्की बाद में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश और अब देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं।
फारबिसगंज की वीरान पड़ी हवाई पट्टी उस घटना की गवाह है, जिसने दो देशों की राजनीति की दिशा बदल दी। नेपाल की राजनीति में कोइराला परिवार की भूमिका आज भी महत्वपूर्ण है। गिरिजा प्रसाद, सुशील कोइराला, मनीषा कोइराला, और अब सुशीला कार्की, यह कहानी पीढ़ियों तक प्रेरणा देती रहेगी। फारबिसगंज की मिट्टी से शुरू हुई यह कहानी बताती है कि छोटे से कदम इतिहास को कैसे नया मोड़ दे सकते हैं। एक विमान हाईजैक ने लोकतांत्रिक संघर्ष की राह बनाई और एक प्रेम कहानी ने नेपाल की राजनीति में नया नेतृत्व दिया।
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