
Bihar Chunav 2025: अब एकतरफा प्यार नहीं रहा। भाजपा की 'बी' टीम के सारे आरोप झूठे थे। महागठबंधन के नेताओं ने हमारे गठबंधन के प्रस्ताव को बार-बार ठुकराया। बिहार की जनता को यह बात समझनी चाहिए और हमारी पार्टी एआईएमआईएम का समर्थन करना चाहिए। हम बिहार में तीसरा मोर्चा बनाएंगे और मुस्लिम बहुल सीटों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।' एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में ये बातें कहीं।
बताया जा रहा है कि अब एआईएमआईएम बिहार में मुस्लिम बहुल सीटों पर तीसरा मोर्चा बनाने में जुटी है। यह तीसरा मोर्चा एनडीए और महागठबंधन दोनों को चुनौती दे सकता है। अब सवाल यह है कि क्या असदुद्दीन ओवैसी की यह रणनीति बिहार की राजनीति में कोई नया भूचाल ला सकती है।
इंटरव्यू में असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि उनकी पार्टी भाजपा को हराने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए हमने बार-बार महागठबंधन के साथ गठबंधन की पेशकश की, लेकिन महागठबंधन के नेताओं ने हमारे प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि वे लोग हम पर भाजपा की बी टीम होने का आरोप लगाते हैं, जो सरासर झूठ है।
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ओवैसी ने कहा कि महागठबंधन के नेता नहीं चाहते कि गरीब और पीड़ित समुदायों से कोई नेता उभरे। ओवैसी ने बिहार की जनता से महागठबंधन के नेताओं की मंशा को समझने और एआईएमआईएम को मजबूत करने में मदद करने की अपील की।
आपको बता दें कि ओवैसी की पार्टी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल की 5 सीटें जीतकर महागठबंधन की हार सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। हालाँकि, संगठनात्मक कारणों से 4 विधायक राजद में शामिल हो गए। यह एआईएमआईएम के लिए एक बड़ा झटका था।
जानकारों का कहना है कि असदुद्दीन ओवैसी का सीमांचल में प्रभाव है और अगर वह मजबूती के साथ विधानसभा चुनाव लड़ते हैं, तो जाहिर है कि इससे महागठबंधन को नुकसान होगा। आपको बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी को 14.28 प्रतिशत वोट मिले थे।
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दरअसल, महागठबंधन AIMIM को वोटकटवा मानता है, लेकिन ओवैसी की यह रणनीति अब उसे भारी पड़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ओवैसी ने महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव देकर मुस्लिम वोटों की एकता का संदेश दिया है और इस पर बैठकर यह संदेश जाएगा कि महागठबंधन के नेता भाजपा को हराने के लिए गंभीर नहीं हैं।
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